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Reading: बुंदेलखंड की झांसी बनी हर्बल एग्रीकल्चर का हब
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herbal agriculture - The Fourth
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बुंदेलखंड की झांसी बनी हर्बल एग्रीकल्चर का हब

3800 एकड़ जमीन पर हर्बल पौधों की होगी खेती।

Last updated: सितम्बर 2, 2023 3:58 अपराह्न
By Divya 2 वर्ष पहले
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3 Min Read
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उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड पानी की समस्या के लिए पूरे देश में बहुत मशहूर था। कम बारिश होने की वजह से उस इलाके में फसलों की उत्पादन क्षमता बेहद कम थी, जिसके चलते यहां के किसानों की आर्थिक स्तिथि काफी खराब थी। इसी को मद्देनजर रखते हुए अब वाह की सरकार ने बुंदेलखंड के झांसी को हर्बल एग्रीकल्चर के हब के रूप में विकसित करने का फैसला किया है।जहां अब तुलसी की खेती से लेकर हर प्रकार के हर्बल पौधे उगाए जाएंगे।

कुल 3800 एकड़ जमीन पर हर्बल पौधों की होगी खेती
झांसी के 19 गांवों को हर्बल एग्रीकल्चर का हब बनाए जाने की योजना है। इन सभी गांवों में कुल 3800 एकड़ जमीन पर हर्बल पौधों की खेती होगी। किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए उद्यान विभाग ने यह कवायद शुरू कर दी है। यहां किसानों द्वारा जो उपज पैदा की जाएगी वह सीधा आयुर्वेदिक कंपनियां द्वारा खरीदी जाएगी। उद्यान विभाग के उपनिदेशक विनय कुमार यादव ने बताया कि पूर्व में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तुलसी उत्पादन का काम शुरू किया गया था। और यह काफी सफल भी रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए अब अन्य हर्बल पौधों की खेती को भी बढ़ावा देने की योजना बना रहे है। जिससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा और वह पारंपरिक खेती के अलावा और भी कई सारी चीजों।

तुलसी और अश्वगंधा के फायदे
आयुर्वेद में रसायन के रूप में वर्गीकृत, अश्वगंधा पूरे सिस्टम को फिर से जीवंत और पुनर्जीवित करने में मदद कर है। अश्वगंधा सहनशक्ति और ताकत का समर्थन करने में मदद करता है, जबकि तुलसी निरंतर ऊर्जा के लिए हाइपोथैलेमिक, पिट्यूटरी और एड्रेनल ग्रंथियों पर उत्थान और संतुलन प्रभाव डालती है।

तुलसी और अश्वगंधा को साथ में खाने से होने वाले फायदे:

  • इम्यूथनिटी के लिए
  • नींद अच्छी आती है
  • हृदय के लिए फायदेमंद
  • सूजन कम करे
  • आंखों के लिए फायदेमंद

झांसी के 19 गांवों को बनाया हर्बल एग्रीकल्चर हब
तुलसी की खेती को सफल हर्बल हब बनाने के लिए झांसी के बंगरा और गुरसराय ब्लॉक के 19 गांवों को लिया गया है। जिस पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस काम को किया जा रहा है। पहले यहां तुलसी की खेती करवाई गई थी जो काफी सफल रही। अब यहां तुलसी समेत अश्वगंधा, सतावर, लेमनग्रास, केमामाइन का उत्पादन किया जाएगा। आज के समय में आयुर्वेदिक कंपनियां में अश्वगंधा और लेमनग्रास जैसे हर्बल पौधों की काफी मांग है। और कंपनियां उनके लिए मुंह मांगा पैसा खर्च करने को तैयार है।

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TAGGED: agriculture, Ashwagandha, Bundelkhand, herbal hub agriculture, herbal plants, india, Jhansi, Tulsi, Uttar Pradesh
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