चीनी की अंतरिक्ष एजेंसी ने गुरुवार यानी आज शेनझोउ-18 चालक दल को अंतरिक्ष भेजने की तैयारी कर ली हैं। एजेंसी का लक्ष्य 2030 तक लोगों को चंद्रमा पर भेजना है। अंतरिक्ष यान जिउक्वान सैटेलाइट लांच सेंटर से रात 8:59 बजे उड़ान भरेंगा । वे शेनझोउ-17 टीम का स्थान लेंगे, जो पिछले साल अक्टूबर से चीन के तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पर मौजूद हैं। आज जाने वाला यह नया दल अंतरिक्ष स्टेशन पर लगभग 6 महीने बिताएगा।
चीन ने 2003 में अपना पहला मानव अंतरिक्ष मिशन शुरू किया था। चीन पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका के बाद अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति को अंतरिक्ष में भेजने वाला तीसरा देश बन गया था। उसके बाद से अभी तक चार देश, अमेरिका, रूस, चीन और भारत चांद पर अंतरिक्ष यान उतार चुके हैं।
चाइना मैन्ड स्पेस एजेंसी (CMSA) के उप निदेशक लिन जिकियांग ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि, तीन अंतरिक्ष यात्रियों 43 वर्षीय कमांडर ये गुआंगफू, 34 वर्षीय ली कांग और 36 वर्षीय ली गुआंगसु इस मिशन का हिस्सा हैं और यह तीनों पहली बार अंतरिक्ष में जाएंगे। चीन का यह इस साल का पहला स्पेस मानव मिशन है। इसमें सबसे खास बात यह है कि ,चीन के स्पेस स्टेशन तियांगोंग पर जाने वाला अंतरिक्ष यात्रियों का यह सातवां बैच है। यह मिशन आज रात चीन के Y18 रॉकेट से लांच किया जाएगा।
यह अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में कार्गों की एंट्री और एग्जिट, स्पेस मलबे से निपटने के उपायों के साथ बाहरी पेलोड और उपकरण स्थापित करने का काम करेंगे। इसके अलावा यह चालक दल अपने साथ घरेलू इन-ऑर्बिट जलीय परिस्थित रिसर्च पर भी काम करेगा। यह वही मिशन होगा, जिसमें चालक दल उस तरह के परिस्थित तंत्र को विकसित करने की कोशिश करेगा , जिसमें जेब्राफिश मछली और सेराटोफिलम डेमर्सम पौधा जीवित रह सकें।
चीन ने जो प्लानिंग की है, उससे अमेरिका खुद डरा हुआ है। इसका उदाहरण नासा चीफ बिल नेल्सन का वो बयान है, जिसमें उन्होंने यह दावा किया है कि, चीन चांद पर मिलिट्री बेस बनाना चाहता है। नेल्सन के मुताबिक सिविलियन एक्टिविटी की आड़ में चीन स्पेस में अपने मिलिट्री प्रोग्राम को छिपाने की कोशिश में जुटा है। उन्होंने दावा किया है कि, अगर चीन ने चांद पर पहले बेस बना लिया तो वह कुछ हिस्सों में अपना दावा कर सकता है।