बहुत कम लोग इस बात पर संदेह करेंगे कि सर डॉन ब्रैडमैन सिर्फ़ क्रिकेट के ही नहीं बल्कि सभी खेलों के सबसे महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं। लेकिन उनके आलोचक थे और आज भी हैं, जो तर्क देते हैं कि वह एक ऐसे बल्लेबाज थे जो जोखिम नहीं लेते थे। अजीब बात है क्यूंकि एक उनका मात्र एक रिकार्ड और पारी ही इस आलोचना को बेबुनियाद साबित करने के लिए काफी है।
बात 2 नवंबर, 1931 की है। डॉन और न्यू साउथ वेल्स के साथी वेंडेल बिल, सिडनी से लगभग 60 मील दूर ब्लू माउंटेन में ब्लैकहीथ में एक नए माल्टोइड पिच पर मैच खेलने के लिए गए, जो जिले में पहला था। पड़ोसी लिथगो के खिलाफ़ ब्लैकहीथ XI में दो स्टार नाम शामिल किए गए।
बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने के बाद, ब्रैडमैन जल्द ही पूरी लय में आ गए और उन्होंने पहले ही ओवर में 38 रन बना लिए। ब्रैडमैन वेंडेल बिल से बात करने के लिए मैदान पर आए और कुछ बात की इसके बाद जो हुआ वह ऐतिहासिक है। डॉन ने मात्र तीन ओवर मे ही 100 रन बना दिए। हालांकि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि यह रिकार्ड कितने समय में बन गया, लेकिन अनुमान है कि यह पारी मात्र 18 मिनट में बना उसमें भी तब जब 10 छक्के लगाने के बाद गेंद लाने में समय लगा।
पहले ओवर में 33 रन बने (6,6,4,2,4,4,6,1), दूसरे ओवर में 40 (6,4,4,6,6,4,6,4) और तीसरे ओवर में 29 (1,6,6,1,1,4,4,6) रन बने, जिसमें पहली और पांचवीं गेंद पर वेंडेल बिल द्वारा लगाए गए सिंगल शामिल थे। ब्रैडमैन सिर्फ शतक बना कर नहीं माने उन्होंने 256 रन की पारी खेली और फिर जा कर आउट हुए, जिसमें 14 छक्के और 29 चौके शामिल थे।
ब्रैडमैन ने कई साल बाद उस पारी के जिक्र में कहा कि, “मुझे लगता है कि इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी है कि यह सब प्लान में नहीं था।” “यह पूरी तरह से एक्सीडेंटली हुआ और हर कोई इसके रिजल्ट से हैरान था, ख़ासकर मैं।”
इस बात से आपको को अंदाजा हो गया होगा कि वे किस औदे के खिलाड़ी थे। ऐसा कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं हुआ, जिसकी बल्लेबाजी औसत 99.94 तक पहुंची हो, और शायद कभी होगा भी नहीं। 25 फरवरी 2001 को ब्रैडमैन इस दुनिया को छोड़कर चले गए, लेकिन उनकी विरासत, उनके आंकड़े और उनकी अद्वितीयता हमेशा अमर रहेगी।
डॉनल्ड जॉर्ज ब्रैडमैन का जन्म 27 अगस्त 1908 को न्यू साउथ वेल्स के छोटे से कस्बे कूटामुंड्रा में हुआ था। बचपन में वे किसी महंगे क्रिकेट किट से नहीं, बल्कि एक गोल्फ बॉल और पानी की टंकी के साथ खेलते थे। वे बॉल को टंकी पर मारते और वापस आती गेंद को बैट से हिट करते थे। यही उनका पहला अभ्यास था, और शायद इसी से उनकी बेहतरीन फुटवर्क और टाइमिंग का विकास हुआ।
ब्रैडमैन ने 20 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम में जगह बनाई और जल्द ही ऐसा प्रदर्शन किया कि पूरी दुनिया उनकी कायल हो गई। 1928-29 की एशेज सीरीज़ में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने पहली बार अपनी प्रतिभा दिखाई, लेकिन यह 1930 की एशेज थी जिसने उन्हें अमर कर दिया।
ब्रैडमैन ने इंग्लैंड की तेज़ और स्विंग होती गेंदों को ऐसा जवाब दिया कि दुनिया दंग रह गई। लॉर्ड्स में 254 रन, हेडिंग्ले में 334 रन और फिर ओवल में 232 रन! पाँच टेस्ट मैचों में 974 रन बनाकर उन्होंने अपनी महानता स्थापित कर दी। यह रिकॉर्ड आज भी एक एशेज सीरीज़ में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड है।
1932-33 की एशेज सीरीज़ में इंग्लैंड ने ब्रैडमैन को रोकने के लिए ‘बॉडीलाइन’ रणनीति अपनाई। इंग्लैंड के कप्तान डगलस जार्डिन ने हारोल्ड लारवुड जैसे तेज़ गेंदबाजों को ब्रैडमैन पर शरीर को निशाना बनाकर गेंदबाजी करने को कहा। इस रणनीति से ऑस्ट्रेलियाई टीम काफी परेशान हुई, लेकिन ब्रैडमैन ने इस चुनौती का सामना किया। हालाँकि उनकी औसत इस सीरीज़ में गिरकर 56.57 हो गई—जो किसी और बल्लेबाज के लिए भी शानदार मानी जाती—लेकिन इससे इंग्लैंड की नैतिकता पर प्रश्नचिह्न लग गया।
ब्रैडमैन का करियर लगभग 100 की औसत से चल रहा था, लेकिन उनकी आखिरी पारी कुछ और ही कहानी कहती है। 1948 में, अपने अंतिम टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ उन्हें सिर्फ 4 रन चाहिए थे ताकि उनका औसत 100 हो जाए, लेकिन वे पहली ही गेंद पर बिना खाता खोले बोल्ड हो गए। उनकी अंतिम टेस्ट औसत 99.94 पर अटक गई—एक ऐसा आँकड़ा जो क्रिकेट में दिव्यता का प्रतीक बन गया।
क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ब्रैडमैन ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड के प्रशासक बने। उन्होंने न केवल क्रिकेट की नीतियों में योगदान दिया बल्कि कई युवा खिलाड़ियों को प्रेरित किया। 1979 में उन्हें नाइटहुड की उपाधि मिली और वे ‘सर डॉनल्ड ब्रैडमैन’ बन गए।
ब्रैडमैन ने क्रिकेट को एक कला के रूप में पेश किया। उनकी बल्लेबाजी में तकनीक, शैली और रणनीति का बेजोड़ मिश्रण था। उनके जैसा कोई और बल्लेबाज नहीं है। डॉन ब्रैडमैन सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं थे, वे क्रिकेट की आत्मा थे। उनकी कहानियाँ सिर्फ आँकड़ों में नहीं, बल्कि हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में जीवित हैं। 25 फरवरी को उनकी पुण्यतिथि पर हम सिर्फ एक महान क्रिकेटर को याद नहीं करते, बल्कि एक ऐसे इंसान को नमन करते हैं जिसने क्रिकेट को नया आयाम दिया। क्रिकेट में कई महान खिलाड़ी आए और गए, लेकिन ‘द डॉन’ केवल एक था, और वह हमेशा के लिए अमर रहेगा।