लोकसभा चुनाव के बीच कई ऐसे वीडियो सामने हैं, जिसे एआई की मदद से एडिट कर वायरल किया जाता है। पिछले दिनों रणवीर सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो बीजेपी और मोदी की आलोचना कर रहे हैं। वीडियो के अंत मे ‘वोट फॉर कॉंग्रेस’ का एड भी नजर आ रहा है। हालांकि पड़ताल की गई तो ये वीडियो फेक पाया गया। रणवीर का ओरिजनल वीडियो वाराणसी का है जिसमें उन्होंने पीएम के कामों की तारीफ की थी। रणवीर से पहले आमिर खान भी deepfake का शिकार हुए थे। उस फेक वीडियो में आमिर भी कांग्रेस का प्रचार करते हुए पीएम मोदी की आलोचना कर रहे थे। ये क्लिप 2016 के सत्यमेव जयते शो से लिया गया था। आमिर ने फेक वीडियो का खंडन किया था। अब ऐसा ही एक और वीडियो सामने आया है, जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से जुड़ा है। सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अमित शाह चुनाव के बाद एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को खत्म करने की बात कह रहे हैं। पड़ताल करने पर यह वीडियो फर्जी पाया गया। गृह मंत्रालय ने भी इसके खिलाफ सख्त ऐक्शन का आदेश दिया जिसके बाद दो लोगों को अब तक गिरफ्तार भी किया जा चुका है। लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच इस फेक वीडियो के जरिए देश में माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही थी।
गौर करने वाली बात?
गौर करने वाली बात ये है कि, सभी भ्रामक वीडियो सीधे तौर पर कॉंग्रेस को सपोर्ट और बीजेपी की आलोचना के लिए बनाये गये हैं। ढेरों कांग्रेस नेताओं सहित पार्टी की तेलंगाना और झारखंड इकाइयों ने अपने ऑफिसीअल अकाउंट्स पर इन भ्रामक वीडियो को शेयर भी किया है। ऐसे मे कॉंग्रेस सवालों के घेरे मे है कि क्या वह प्रचार और मोदी के खिलाफ फेक वीडियो बनवाकर जनता को गुमराह कर रही है?
शाह ने राहुल पर किया हमला
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल गांधी पर राजनीति का स्तर गिराने का गंभीर आरोप लगया है। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष पूरा जतन कर रहे हैं कि राजनीति को और गर्त में धकेल दिया जाए। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने एक फर्जी वीडियो का जिक्र करते हुए कहा कि पूरी कांग्रेस पार्टी चुनावों में होने वाली अपनी दुर्दशा की आशंका से हताश हो गई है।”
भारत मे अब तक कोई नकेल नहीं
वर्तमान में डीपफेक एक घातक टेक्नोलॉजी बन गयी है। इस तकनीक को सीमित करने के लिए अब तक कोई कानून भी भारत में नहीं है। खासतौर पर गुज़र चुके व्यक्ति या सेलिब्रिटीज के वीडियो बनाते समय उनके परिवार से अनुमति मांगना आवश्यक होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। लोगों के शब्दों को बदलना, उनकी आवाज का दुरुपयोग करना, उनके चेहरे को किसी और के धड़ पर लगाने से मतदाताओं को गुमराह किया जा सकता है।