पुणे। मॉनसून की शुरुआत तो ठीक हुई थी… लेकिन तीन हफ्ते से बारिश में जो मंदी आई है, उसने कई इलाकों में सूखे जैसे हालात कर दिए हैं। देश का 31 फीसद हिस्सा ऐसा है, जहां न के बराबर बारिश हुई है। पिछली बार भी कम बरसा था। चार फीसद हिस्सा ऐसा है, जहां हालात बदतर हैं। इनमें महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के कुछ जिले बताए जा रहे हैं। देश भर में दस फीसद जमीन ऐसी भी है, जहां सूखा है तो सही, लेकिन इतना नहीं कि परेशानी हो जाए। ‘टीओआई’ के मुताबिक मौसम विभाग ने 27 जुलाई से 23 अगस्त तक की रिपोर्ट तैयार की है। अलनीनो इफेक्ट सहित मौसम के कुछ और बदलाव ने बारिश का असंतुलन कर दिया है।
मौसम वैज्ञानिक की राय
मौसम वैज्ञानिक राजीव चट्टोपाध्याय कह रहे हैं कि हालात इसलिए ज्यादा मुश्किल लग रहे हैं कि आने वाले दो-तीन हफ्तों में भी बारिश का कोई सिस्टम नजर नहीं आ रहा। अगर यही हाल रहा, तो करीब आधे देश में सूखा पड़ सकता है। कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां जरूरत से ज्यादा पानी गिर चुका है, लेकिन कहीं-कहीं अभी भी इंतजार है। राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में तगड़ा झटका लगा है। इंदौर और आसपास अब तक 25 इंच बारिश हो चुकी है, जिसे ठीक-ठाक माना जा सकता है। मंदसौर, उज्जैन, रतलाम और देवास में भी बारिश का आंकड़ा ठीक है।
दस दिन बारिश पर ब्रेक
भोपाल। अगले दस दिन तक मध्यप्रदेश में तेज बारिश नहीं होगी। ग्वालियर, चंबल, रीवा, शहडोल और सागर संभाग में कहीं हलकी बारिश हो सकती है।
इंदौर, भोपाल, उज्जैन, नर्मदापुरम संभाग में हलकी बारिश हो सकती है। भोपाल मौसम केंद्र के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. वेदप्रकाश ने बताया कि पिछले दो-तीन दिन से बारिश लाने वाला कोई सिस्टम नहीं बना है। अगले दस दिन तक मॉनसून पर ब्रेक रहेगा। मध्यप्रदेश में नौ फीसद कम बारिश हुई है। औसतन 25 इंच बारिश हुई है, जबकि 28 इंच होनी चाहिए। पश्चिम म.प्र., मालवा-निमाड़ में बारह फीसद कम बारिश हुई है, जबकि पूर्वी म.प्र. में छह फीसद कम बारिश हुई है। सबसे ज्यादा बारिश नरसिंहपुर में 41 इंच से ज्यादा हुई है। खरगोन, मंदसौर, बड़वानी, ग्वालियर में सबसे कम बारिश हुई है।