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देश को आर्थिक तरक्की पर ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री का निधन

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन।

Last updated: दिसम्बर 28, 2024 11:18 पूर्वाह्न
By Divya 5 महीना पहले
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6 Min Read
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देश को आर्थिक तरक्की पर ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री का निधन

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गुरुवार शाम तबीयत बिगड़ने पर उन्हें दिल्ली के AIIMS में भर्ती कराया गया था। वह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक दो बार देश के प्रधानमंत्री पद पर रह चुके थे। उनके निधन से देश ने एक सच्चा देशभक्त, महान अर्थशास्त्री और सादगी का प्रतीक खो दिया है।

डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। हालांकि, उनका अंतिम संस्कार आज नहीं बल्कि शनिवार यानी 28 दिसंबर को किया जाएगा क्योंकि, उनकी एक बेटी अमेरिका से आ रही हैं। अंतिम संस्कार 10 से 11 बजे की बीच किया जाएगा। इससे पहले सुबह 9: 30 बजे दिल्ली में स्थित कांग्रेस मुख्यालय से उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी।

राजनीति में उनका कार्यकाल चुनौती पूर्ण भी रहा है। जब नरसिम्हा राव ने 1991 में प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी तब देश लगभग कंगाली पर था। भारत का अधिकांश सोना विदेश में गिरवी रखा जा चुका था और कर्ज में डूबने की नौबत आ गई थी। ऐसे में राव ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर आइजी पटेल को पहले वित्तमंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था। लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया तब मनमोहन सिंह ने भारत को आर्थिक संकट से निकालने की पेशकश की। इस चुनौती को मनमोहन सिंह ने न केवल स्वीकार किया बल्कि लगभग पांच दशक पुरानी भारत की आर्थिक विकास की धारा को ही पूरी तरह बदल दिया। हालांकि तब भी विपक्ष ने उन पर आक्रमणों की बौछार की। वहीं नरसिम्हा राव के योगदान को भी इसलिए नहीं भूला जा सकता क्योंकि उन्होंने अपने वित्तमंत्री रहे मनमोहन सिंह पर लगातार पांच साल तक विश्वास किया।

1991 के आर्थिक संकट में उनका दूरदर्शी नेतृत्व भारत के लिए वरदान साबित हुआ था। उन्होंने करोड़ों भारतीयों के जीवन को बेहतर बनाया। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सूचना क्रांति, मनरेगा, किसानों की कर्ज माफी और शिक्षा के अधिकार जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए, जिनका लाभ भारत आज भी उठा रहा है। उनकी ईमानदारी, विनम्रता और राष्ट्रसेवा का हर भारतीय हमेशा कर्जदार रहेगा। साथ ही उन्होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को नया आधार दिया था। उन्होंने 1991-1996 तक वित्त मंत्री के पद पर रहने के दौरान उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण (LPG) की नीति लागू की थी। उन्होंने वैश्विक आर्थिक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया था साथ ही पारदर्शी और दीर्घकालिक आर्थिक नीतियां दीं। विदेश नीति, भविष्य की योजनाओं और दीर्धकालिक सामाजिक नीतियों के अलावा उन्होंने अमेरिका से असैनिक परमाणु समझौता भी करवाया था।

2004 के आम चुनाव के बाद सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पद ठुकरा दिया था। तब उनके सामने एक ऐसे नेता को यह जिम्मेदारी सौंपने की चुनौती थी जो न केवल इस पद के योग्य हो बल्कि कांग्रेस नेतृत्व की सर्वोच्चता के लिए कोई खतरा भी न हो। उस दौरान प्रणव मुखर्जी और अर्जुन सिंह जैसे दिग्गजों की दावेदारी के बीच सोनिया ने मनमोहन सिंह पर भरोसा किया और प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया और उस दौरान मनमोहन सिंह ने भी संपूर्ण कार्यकाल में इस भरोसे को कायम रखा।

केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर 7 दिनों का राजकीय शोक घोषित किया है। इसका मतलब है कि, 26 दिसंबर से 1 जनवरी तक राजकीय शोक रहेगा। हालांकि, राजकीय शोक राष्ट्रीय शोक से अलग होता है। राजकीय शोक राज्य स्तर पर होती है जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री करते है। इसकी घोषणा किसी दिग्गज व्यक्ति के निधन पर की जाती है। इसकी घोषणा 1 दिन से लेकर 7 दिन या उससे अधिक की हो सकती है। इस अवधि में कोई राजकीय समारोह एवं सरकारी मनोरंजन से संबंधित कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। वहीं राष्ट्रीय शोक की घोषणा केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

देश में पूर्व प्रधानमंत्री के अंतिम संस्कार में राजकीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। यानी किसी भी पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर अंतिम संस्कार से पहले उनके पार्थिव शरीर को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा जाता है। साथ ही, अंतिम संस्कार के वक्त उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। इतना ही नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया जाता है। मनमोहन सिंह के निधन पर भी सात दिनों के शोक का ऐलान है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राष्ट्रीय शोक के दौरान कोई भी समारोह या सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। अंतिम दर्शन के लिए आखिरी विदाई भी प्रोटोकॉल के तहत दी जाएगी।

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TAGGED: Congress Party, Dr. Manmohan Singh, economic crisis 1991, economic reforms, former prime minister of india, india's economic growth, india’s economy, indian politics, rip, thefourth, thefourthindia
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