मध्य प्रदेश के इंदौर में, ईद के दिन आपसी भाईचारे का एक सुकून देने वाला नज़ारा देखने को मिला, जब शहर के एक निवासी सत्यनारायण सलवाड़िया ने अपने परिवार की परंपरा निभाते हुए ईद के मौके पर शहर काज़ी मोहम्मद इशरत अली को उनके घर से बग्घी में बैठाकर ईदगाह तक ले गए, जहां उन्होंने सामूहिक नमाज़ अदा की। इसके बाद बग्घी से ही वापस भी लाया गया।
सत्यनारायण बताते हैं कि ये परंपरा उनके पिता रामचंद्र सलवाड़िया ने 50 साल पहले शुरू की थी, जहां वे शहर काज़ी याकूब अली को बग्घी में बैठाकर ईदगाह ले जाते थे और वापस भी लाते थे। बीच में कोरोना के कारण इसमें बाधा आई थी लेकिन तब भी परपंरा निभाने सलवाड़िया परिवार काज़ी के घर पहुंचा और उन्हें ईद की मुबारकबाद दी। अब उनके बेटे इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
भारत में अनगिनत गांव शहर हैं लेकिन इंदौर एकमात्र ऐसा शहर होगा जहां एक हिंदू परिवार शहर काज़ी को नमाज़ अदा कराने ईदगाह तक सम्मान के साथ ले जाता हैं और आपसी भाईचारे की ऐसी मिसाल पेश करता हैं। शहर काज़ी ने इस मौके पर युवाओं से अपील की कि वे दुनिया को सियासी चश्मे से नहीं, बल्कि सामाजिक चश्मे से देखें।
आज के negative वातावरण में इस तरह की खबरें वाकई उम्मीद की किरण की होती हैं। जब हम सुनते हैं कि अलग-अलग धर्म और समुदाय के लोग आपसी सम्मान और भाईचारे के साथ मिलकर रहते हैं, तो यह हमें यकीन दिलाता है कि दुनिया में अब भी अच्छे लोग हैं जो शांति और प्रेम को अहमियत देते हैं। इस तरह की घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमारे समाज में सद्भाव की संभावना कभी खत्म नहीं होती, और यदि हम कोशिश करें तो एक बेहतर भविष्य बना सकते हैं।