देश में एक बार फिर किसान आंदोलन की आग सुलग गई है। मध्य दिल्ली में एक बार फिर किसानों ने अपना मार्च निकालना शुरू कर दिया है। 25 नवंबर से भारतीय किसान परिषद, किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा दलों के किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार 2 दिसंबर को किसानों ने दिल्ली चलो मार्च निकाली थी। भारतीय किसान परिषद के अध्यक्ष का कहना है कि, 6 दिसंबर को बाकी किसान भी दिल्ली में अपना मार्च निकालेंगे।
क्या है किसानों की चिंता?
2020 में मोदी सरकार द्वारा नए तीन farms law बनाए गए थे और कुछ बदलाव किए गए थे, लेकिन उन बदलावों से किसान संतुष्ट नहीं थे। इस बदलाव में MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से सरकार ने अपना समर्थन हटा दिया गया था। MSP फसलों के लिए एक उचित मूल्य तय करता है। ऐसे में किसानों को डर है कि, MSP से सरकार का समर्थन हटने से उन्हें असल लागत से कम दाम का लाभ मिलेगा। इसके अलावा छोटे किसानों को डर है कि, सौदेबाजी या बारगेनिंग शक्ति कमज़ोर होने के कारण निजी संस्थान उनका शोषण करेगी, जिससे उन्हें अनाज़ की बिक्री में बहुत कम लाभ मिलेगा। इसके साथ ही किसानों का यह भी मानना है कि, उनका साथ देने वाली मंडी प्रणाली के पूर्ण रूप से खत्म होने के बाद व्यवसायी द्वारा उनका शोषण होगा।
क्या है किसानों की मांगे?
2020 से चले आ रहे आंदोलनों में किसानों की मांगे है कि, MSP को वापस वैध रूप से लागू किया जाए, किसानों का कृषि लोन माफ हो, साथ ही उन्हें पेंशन मिले, बिजली के दरों में बढ़ोतरी ना हो और उनके खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लिया जाए। इनके अलावा उनकी मांग है कि, पुराने अधिग्रहण कानून के तहत उन्हें 10% प्लॉट्स का आवंटन हो और 64.7% बढ़ा हुआ मुआवज़ा दिया जाए। साथ ही बिना भूमि वाले किसानों के बच्चों को रोजगार दिया जाए।
कहां-कहां हो रहा किसानों का प्रदर्शन?
दिल्ली के अलावा किसान पंजाब-हरियाणा की शंभू सीमा पर दिल्ली में एंट्री ना मिलने के बाद, 13 फरवरी से वहां पर अपना डेरा डाले हुए हैं। इसके अलावा केरल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में भी किसानों ने अपनी मांगों को लेकर, 6 दिसंबर को अपनी-अपनी विधानसभाओं तक मार्च निकालने की योजना बनाई है।
पुलिस की क्या है प्रतिक्रिया?
दिल्ली में किसान मार्च के चलते पुलिस जोरों शोरों से अपनी ड्यूटी में तैनात खड़ी है। दिल्ली से सटी सभी सीमाओं पर पुलिस दूसरे राज्य से किसानों को आने से रोक रही है। साथ ही दिल्ली में भी किसानों के मार्च को रोकने लिए पुलिस ने बैरिकेड्स का इस्तेमाल कर ट्रैफिक को नियंत्रण करने के लिए एडवाइजरी जारी की थी। आज भी पुलिस ने नोएडा एक्सप्रेसवे पर धरना दिए और डेरा डालें हुए किसानों को हिरासत में लेकर, उनका धरना समाप्त करवाया।
कब हुई थी किसान आंदोलन की शुरुआत?
इतने साल से चले आ रहे इन किसान आंदोलन की शुरुआत जनवरी 2020 में हुई थी, जब सरकार ने नए farms law पारित किए थी। इन नए नियम से किसानों के समूह खुश नहीं थे और उन्हें वापस लेने की मांग कर रहे थे। उसके लिए उन्होंने सरकार से बातचीत करने की मांग भी थी, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से उस समय कोई जवाब नहीं मिला था। जिसके बाद उन्होंने अपनी मांग मनवाने के लिए आंदोलन और प्रदर्शन करने का रास्ता अपनाया। 2020 से किसान लगातार हर साल आंदोलन और प्रदर्शन करते आ रहे हैं। इसके साथ ही, हर बदलते साल के साथ किसानों की मांगों में भी बढ़ोतरी होते जा रही हैं।