भारत में 8 से 10 सितम्बर के बीच जी-20 सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को लेकर राजधानी में जोरदार तैयारियां चल रही है।तो वही अब ऋग्वेद की सबसे पुरानी कॉपी रखी गई है। आपको बता दें, ऋग्वेद दुनिया का सबसे प्राचीन ग्रंथ है। कहा जाता है कि ये खुद ईश्वर की वाणी है, जिसे ऋषि-मुनियों को सुनाया गया। कुल 4 वेद हैं, जिनमें ऋग्वेद सबसे पुराना है। ऋग्वेद में पुरातन ज्ञान-विज्ञान का भंडार है, जिसमें मानव कल्याण के बारे में बताया गया है। वेद इसलिए भी सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये मानव द्वारा लिखित नहीं, ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुने ज्ञान के आधार पर लिखे गए हैं। यही वजह है कि वेदों को ‘श्रुति’ कहा जाता है। ऋग्वेद के 10 अध्याय में 1028 सूक्त में 11 हजार मंत्र है।
क्या है ऋग्वेद में
ऋग्वेद के बारे में कहा जाता है कि ये खुद ईश्वर ने ऋषियों को सुनाया था।इसमें कुल 1028 सूक्तियां हैं, जो वेद मंत्रों का समूह हैं।ज्यादातर सूक्तियां देवताओं की स्तुति से जुड़ी हैं. हालांकि कुछ में मानव जीवन के दूसरे पहलुओं पर भी बात की गई है. इसमें करीब 125 औषधियों का जिक्र है, जो शरीर और मन की स्थिति को बेहतर बनाए रखने में मददगार हैं. ऋग्वेद की सबसे पुरानी प्रति भोजपत्र पर लिखी हुई है, जिसे पुणे के भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट में रखा गया। इनमें से एक पांडुलिपि शारदा स्क्रिप्ट में लिखी हुई है, जबकि बाकी 29 मेनुस्क्रिप्ट देवनागरी में हैं।
कुल 4 वेद है
1- c को सबसे पहला वेद माना जाता है जो पद्यात्मक है।इसमें इंद्र, अग्नि, रुद्र,वरुण, मरुत, सवित्रु ,सूर्य और दो अश्विनी देवताओं की स्तुति है। इसकी कई शाखाएं भी हैं।
2- यजुर्वेद दूसरा वेद है जिसमें अग्नि के जरिए देवताओं को दी जाने वाली आहुति के बारे में बताया गया। यज्ञ की विधियों और मंत्रों के अलावा यहां तत्वज्ञान भी मिलता है।
3- सामवेद में संगीत पर खासा जोर दिया गया।
साम का मतलब है गीत-संगीत। इसे सामगान भी कहते हैं।
4- अथर्ववेद में समवेद में आयुर्वेद, रहस्यमयी विद्याओं का जिक्र है।यहां बीमारियों के इलाज से लेकर धन प्राप्ति के तरीके भी बताए गए हैं।
सांस्कृतिक गलियारे के कई डिजिटल और भौतिक प्रदर्शन जिन्हें भारत G20 शिखर सम्मेलन के लिए तैयार कर रहा है। संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत योग, वैदिक मंत्रों आदि के साथ-साथ दार्शनिक पाणिनि के प्राचीन पाठ अष्टाध्यायी की एक प्रति को भौतिक प्रदर्शनियों में प्रदर्शित किया जाएगा। सम्मलेन के कल्चर कॉरिडोर में रखने के लिए ऋग्वेद की सबसे पुरानी पांडुलिपि भी मंगवाई गई है। ऋग्वेद की यह सबसे पुरानी पांडुलिपि पुणे के एक संग्रहालय में रखी हुई है।