मंगलवार को इज़राइली सेना द्वारा गाज़ा पट्टी में किए गए हमलों में कम से कम 330 फ़िलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए। यह हमला जनवरी 19 को शुरू हुए संघर्षविराम के बाद से सबसे बड़ा था। इज़राइली प्रधानमंत्री के कार्यालय ने कहा कि हमास द्वारा बंधकों को रिहा करने से इनकार और वार्ता में गतिरोध के कारण यह कार्रवाई की गई है।
गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हवाई हमलों में मारे गए लोगों में अधिकांश बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिससे कई अस्पताल बंद हो गए हैं।
इज़राइल और फ़िलिस्तीन के बीच संघर्ष का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से है, जब यहूदियों के फिलिस्तीन में आप्रवासन की वृद्धि हुई, जिससे यहूदी आगंतुकों और अरब आबादी के बीच तनाव उत्पन्न होने लगा। वर्ष 1917 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने बाल्फोर घोषणा जारी की थी, जिसमें फिलिस्तीन में ‘यहूदी लोगों के लिये राष्ट्रीय गृह’ की स्थापना के लिये समर्थन व्यक्त किया गया था।
1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को दो अलग-अलग यहूदी और अरब राज्यों में विभाजित करने की योजना प्रस्तुत की, जिसे यहूदी नेताओं ने स्वीकार किया, लेकिन अरब नेताओं ने अस्वीकार कर दिया, जिससे हिंसा भड़क उठी। 1948 में इज़राइल ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की, जिससे पड़ोसी अरब राज्यों के साथ युद्ध शुरू हो गया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप हज़ारों फ़िलिस्तीनियों का विस्थापन हुआ, जिसने भविष्य के तनाव की नींव रखी।
1967 के छह दिवसीय युद्ध में इज़राइल ने गाज़ा पट्टी, वेस्ट बैंक, पूर्वी यरूशलम, सिनाई प्रायद्वीप और गोलान हाइट्स पर कब्ज़ा कर लिया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप लगभग पांच लाख लोग विस्थापित हुए थे।
1987 में पहला इंतिफ़ादा (फ़िलिस्तीनी विद्रोह) भड़क उठा, जिसमें हमास का उदय हुआ। हमास ने इज़राइल के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष जारी रखा है। वर्ष 2006 में हमास ने फ़िलिस्तीनी विधायी चुनाव में जीत दर्ज की और वर्ष 2007 में फतह को गाज़ा से अलग कर दिया, साथ ही फ़िलिस्तीनी आंदोलन को भौगोलिक रूप से भी विभाजित कर दिया।
वर्तमान में, गाज़ा पट्टी पर हमास का नियंत्रण है, और यह क्षेत्र दुनिया की सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, जहाँ 2.3 मिलियन से अधिक फ़िलिस्तीनी रहते हैं।
हाल के वर्षों में, गाज़ा में मानवीय संकट गहराता गया है, जिसमें बुनियादी सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी और आवागमन पर प्रतिबंध शामिल हैं। इस ताजे हमले ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता की लहर दौड़ गई है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने सभी पक्षों से संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। हालांकि, वर्तमान स्थिति को देखते हुए निकट भविष्य में शांति की संभावना धूमिल नजर आ रही है।