गुजरात की बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात के पंचमहल जेल में खुद को सरेंडर कर दिया है। दोषियों ने 21 जनवरी (रविवार) की रात में सरेंडर किया है। सेंट्रल जेल गोधरा के एक अधिकारी ने पुष्टि करते हुए बताया कि सभी 11 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन पूरी होने से पहले सरेंडर किया। गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त 2022 में सजा से रिहा कर दिया था।
27 फरवरी 2002 को आयोध्या से गुजरात आ रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में कुछ दबंगों द्वारा आग लगा दी गई थी। जिसमें 59 लोगों की जलकर दर्दनाक मौत हो गई थी। जिसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे थे। दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की रहने वाली बिलकिस बानो का परिवार खौफ में था, और 3 मार्च 2002 को बिलकिस बानो और उनका परिवार जान बचाते हुए छप्परवाड़ गांव पहुंचा। उपद्रवी भीड़ को आता देखकर परिवार के साथ जान बचाने के लिए खेतों में छिप गया, लेकिन भीड़ ने उन्हें देख लिया। जिसके बाद बिलकिस के परिवार पर सब टूट पड़े। जिस दौरान लगभग 30 से 40 लोगों ने मिलकर बिलकिस के परिवार पर हमला कर उनकी हत्या कर दी। 2002 में जब बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप की यह घटना हुई थी, तब वो 21 साल की और पांच माह की गर्भवती थी। इन दंगों में मारे गए उनके परिवार के सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
2002 में हुए साबरमती ट्रेन हादसे के बाद भड़के दंगों के दौरान उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस सामूहिक बलात्कार में 11 दोषियों में बाकाभाई वोहानिया, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, गोविंद, जसवन्त, मितेश भट्ट, प्रदीप मोरधिया, राधेश्याम शाह, राजूभाई सोनी, रमेश और शैलेश भट्ट शामिल हैं।
पिछले साल गुजरात सरकार की तरफ से छूट देते हुए आरोपियों को रिहा कर दिया गया। जिसके बाद बिलकिस बानो ने दोबारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और कोर्ट ने बिलिकस बानो के हक में फैसला सुनाया। जिस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 7 जनवरी, 2023 को दोषियों की सजा माफी को गुजरात सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताते हुए दोषियों की रिहाई रद्द कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी को दोबारा से जेल में सरेंडर करने को कहा था। जिसके बाद अब कोर्ट ने बिलकिस बानो केस के 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है।