आज हमें आजाद हुए 76 साल हो गए। लेकिन हर बार उस उन्मुक्त तिरंगे को देख एक सवाल आता है कि कैसा रहा होगा वो पल जब जिसने अंग्रेजी राज की तीन शताब्दियों की धूल चेहरे से पोंछ दी होगी, सभा-भवन से बाहर अचानक बिजली कड़क उठी और मॉनसूनी बारिश शुरू हो गई। भवन को चारों तरफ से हजारों भारतीयों ने घेर रखा था। वे भीगने लगे, चुपचाप। क्षण-क्षण नजदीक आ रही उस आधी रात की संभावना ने उन्हें इतना रोमांचित और मोहित कर रखा था कि भीगने का उन्हें पता भी नहीं चल रहा था। भवन के अन्दर वक्ता के स्टैंडे के ठीक ऊपर, जो बड़ी सी दीवार घड़ी लगी थी, उस के कांटों ने बारह की तरफ सरकना शुरू किया। आखिरकार घड़ी का कांटा 12 की तरफ पहुंचा। और फिर जवाहर लाल नेहरू के शंखनाद ने एक बड़े साम्राज्य के अंत और भारत भूमि पर एक नए युग के सूत्रपात की घोषणा कर दी। जिसने एक दिन के समापन और साथ में एक युग के भी समापन की भी घोषणा कर दी थी। पूरा सभा भवन संघनाद और भारत माता की जय के नारों से गुंज गया। दोनों नवनिर्मित राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान में उस शंखनाद के साथ नई धड़कनें शुरू हो गई थीं।
भारत 2023 में 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है?
लोगों में चर्चा है कि क्या इस दिन की गिनती 15 अगस्त, 1947 से की जानी चाहिए, जब भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, या एक साल बाद, जब इसने पहली वर्षगांठ मनाई। आजादी के दिन से गिनती करें तो भारत स्वतंत्रता प्राप्ति की 77वीं वर्षगांठ मना रहा होगा। लेकिन 15 अगस्त 1948 से गिनती करें तो 76वें स्वतंत्रता दिवस पर आती है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह दिल्ली में शामिल होंगे 1800 स्पेशल गेस्ट
स्वतंत्रता दिवस समारोह से पहले के दिनों में दिल्ली का लाल किला आकर्षण का केंद्र बन जाता है। जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ भाषण प्रतिष्ठित लाल किले की प्राचीर से दिया था। तब से यह एक परंपरा बन गई है। दिल्ली का रेड फोर्ट, जिसे ‘लाल किला’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के प्रतीक के रूप में खड़ा है। इसका ऐतिहासिक महत्व अनेक लड़ाइयों और बलिदानों का साक्षी बनने से लेकर शक्ति का प्रतीक बनने तक है। इस इमारत ने स्वतंत्रता की दिशा में भारत की यात्रा के कुछ सबसे महत्वपूर्ण अध्याय देखे हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
आज इस स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर मैं यहां पर मौजूद सभी लोगों को तहेदिल से इस दिन की शुभकामनाएं। जैसा की हम सभी को मालूम है कि हम यहां पर 77वां दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। आज ही के दिन 1947 में भारत अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद हुआ था। उस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किला से ध्वजारोहण किया था। तबसे लेकर हम इस दिन को हर वर्ष बड़े ही धूम-धाम से मनाते है और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री लाल किला से ध्वजारोहण करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर खास अंदाज में दें शुभकामना
आप भी स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना परिचितों को शायरी से दे सकते हैं। वर्तमान माहौल में कुछ शायरी बिल्कुल प्रासंगिक हैं। आप लोगों को याद दिला सकते हैं कि आखिर स्वतंत्रता सेनानियों के सामने देश के लिए लड़ाई का क्या महत्व था? देश को आजाद कराने में भारत के लोगों ने धर्म, जाति, पंथ और संप्रदाय से ऊपर उठकर योगदान दिया। उनके बलिदान को याद करने का 15 अगस्त का दिन सबसे अच्छा मौका है।