इंदौर। शहर के दर्जनों चौराहों पर लगे कैमरे बता रहे हैं कि 3000 लोग रोज ट्रैफिक नियमों को ठेंगा दिखाते हैं… काश ये बता पाते की इनमें डिलीवरी बॉय कितने हैं! स्पष्ट गिनती तो नहीं है लेकिन आरोप है कि 10 में से 8 डिलीवरी बॉय हेलमेट नहीं पहनते…जल्दी पहुंचने की कोशिश में सिग्नल पार करने और रॉन्ग साइड घुसने से भी परहेज नहीं करते। ट्रैफिक पुलिस का डंडा तो लाल-नारंगी कपड़े देखकर चलने से रहा! ताजा हालात तो यही बता रहे हैं कि खाने वालों को खाने से मतलब है और लाने वालों को जल्द लाने से मतलब है। डिलीवरी बॉय जल्दी इसलिए मचाते हैं, क्योंकि टाइम साधेंगे तो कंपनी भी सराहेगी और ग्राहक भी। ज्यादा से ज्यादा आर्डर मिल सकेंगे और इसी से “खाना – वाहक” की आवक में भी इजाफा होगा।
जवाब देने से बच रहे Zomato – Swiggy
जीभ और जेब को ठंडक पहुंचाने के इस मिशन में शहर के ट्रैफिक नियम ताक पर रखे जा रहे हैं। Zomato – Swiggy के कर्ताधर्ता से सवाल किया तो गोल-गोल जवाब है। फोन पर बात करते नहीं…zomato के ऑफिस (एनआरके बिसनेस पार्क) पहुंच कर पूछा तो जवाब मिला कि हम इस पर कुछ नहीं बोल पाएंगे। हमारे हेड ऑफिस गुड़गांव बात कर लीजिए। उनसे नोएडा के अधिकारी अंकुश कुमार का नंबर मिला। अंकुश ने कहा कि आप हमारे पीआर विभाग से ईमेल करके पूछ लीजिए। उनके खुद के पास कोई जवाब नहीं था। यही हाल Swiggy के कर्ताधर्ताओं का भी है। पता चला है कि कंपनी ने ट्रैफिक नियमों के पालन का कह तो रखा है…लेकिन कोई सख्त गाइडलाइन या हिदायत नहीं है। अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी ट्रैफिक नियमों को जोड़ रखा है,लेकिन इसकी जांच संजीदगी से नहीं होती की डिलीवरी बॉय नियम मान रहे हैं या नहीं।
ज्यादातर के सर पर हेलमेट नही!
वृंदावन होटल के पास रहने वाले डिलीवरी बॉय अमन तुर्रैया से पूछा तो उसने कहा, मैं करीब 6 महीने से काम कर रहा हूं। मैं तो हेलमेट पहनता हूं। पास में खड़े सतीश कुमार से पूछा तो सर नीचे झुका लिया… बोला कि आज हेलमेट घर पर रखा है। यह वह जगह है जहां दर्जनों डिलीवरी बॉय नजर आते हैं। ज्यादातर के सिर से हेलमेट गायब रहता है। कुछ डिलीवरी बॉय तो ऐसे हैं जो Swiggy और Zomato दोनों की मोबाइल एप और शर्ट साथ रख कर घूम रहे हैं! जिसका आर्डर आ जाए देने निकल जाते हैं। परेशानी तब होती है जब दोनों ऑर्डर साथ में आ जाए।
ग्राहकों की मिली – जुली बात
अक्सर खाना ऑर्डर करने वाली दसवीं की छात्रा लीना (नैनो) यादव बोली की ऑर्डर करने के बाद जब एप में चेक करो तो वहां रोबोट हेलमेट पहने हुए दिखता है, लेकिन जब बंदा खाना लेकर पहुंचता है तो सिर से हेलमेट भी गायब रहता है और कई बार तो टी-शर्ट भी।
डिजिटाइजर्स (डिजिटल मार्केटिंग कंपनी) के मालिक रौनक ठाकुर बताते हैं कि हेलमेट पर तो कभी ध्यान नहीं दिया.. लेकिन घर से ऑफिस के रास्ते में कई बार देखता हूं की डिलीवरी बॉय सिग्नलतोड़ रहे हैं! रॉन्ग साइड घुस रहे हैं।
वीडियो एडिटर लोकेश शर्मा का कहना है ज्यादातर हेलमेट नहीं रहता। कभी कभार नजर भी आया है तो या तो हाथ में टंगा रहता है या बाइक के कांच पर।
हां तोड़ते हैं नियम – ट्रैफिक डीसीपी
ट्रैफिक डीसीपी अरविंद तिवारी कहते हैं, हां यह बात सही है की डिलीवरी बॉय ट्रैफिक नियमों का अक्सर उल्लंघन करते हैं। ट्रैफिक पुलिस या कैमरा इन्हें लेकर कोई स्पष्ट आंकड़ा तो नहीं बता सकता, अक्सर रॉन्ग साइड घुसने और हेलमेट नियम तोड़ते हैं।
रैपीडो तो राम भरोसे !
मोबाइल पर सवारी लाने ले जाने वाली रैपीडो कंपनी तो इस मामले में हद ही कर रही है। उन पर तो जिम्मेदारी भी ज्यादा है, क्योंकि खाना नहीं… खाने वालों को पीछे बैठ कर चलते हैं! कभी हेलमेट नहीं पहनते। कहीं ट्रैफिक जाम लगा हो तो शॉर्टकट से भी मोबाइक निकाल ले जाते हैं। इन नजर रखने वाला और नकेल कसने वाला भी कोई नहीं है। सिर्फ मोबाइल ऐप के जरिए कोई भी रैपीडो ड्राइवर बन सकता है। “रैपीडो कैप्टन” नाम की मोबाइल ऐप है! उसे डाउनलोड करिए। लाइसेंस, आधार कार्ड अटैच करिए। रैपीडो ड्राइवर हो की लिस्ट में डाल दिए जाएंगे। मोबाइल ऐप से जुड़ने के बाद सवारी लाने ले जाने के आर्डर आएंगे। इनकी नियुक्ति से पहले ना कोई पुलिस वेरिफिकेशन है। और ना ही किसी और चीज की पड़ताल। अब अगर कोई चोर या अपराधी भी रैपीडो की लिस्ट में जुड़ जाए.. तो ग्राहक को कैसे पता चलेगा! ग्राहक तो खुशी से उसके साथ बैठकर जाएगा और दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।