इन दिनों Deepfake video के बहुत से मामले सामने आ रहे हैं। अभिनेत्री रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ और सारा तेंदुलकर के बाद अब देश के राजनेताओं के ऊपर भी होने लगा है Deepfake से हमला। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री कमल नाथ और भाजपा के प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय बने है इस Deepfake का निशाना।
क्या है पूरा मामला
26 नवंबर को इंदौर पुलिस ने एक अज्ञात व्यक्ति के ऊपर, कमल नाथ और विजयवर्गीय के Deepfake vidoes बनाने और उनके वितरण के लिए FIR दर्ज की हैं। आरोपी के ऊपर पुलिस ने IPS की धारा 500, 509, 67 और Information Technology (IT) act, section 66 (D) के तहत शिकायत दर्ज की हैं।
इस मामले की खबर इंदौर के एक रहवासी अमित गुप्ता ने पुलिस को दी थी। उनका कहना था कि उन्हें whatsaap में नाथ के Deepfake video की लिंक मिली थी। अमित का कहना था कि, उस लिंक में नाथ का एक आपत्तिजनक वीडियो था। अमित ने कहा कि वो वीडियो देखने के बाद हैरान रह गए थे, पर यह साफ पता चल रहा था की वीडियो फर्जी हैं। जिसके बाद उन्होंने इसके बारे में पुलिस को सूचना दी। इसी तरह से विजयवर्गीय का भी वीडियो बहुत वायरल हो रहा हैं।
क्राइम ब्रांच से उप पुलिस निमिष अग्रवाल का कहना है कि, पुलिस ने इन दोनों मामले और Deepfake video के निर्माण और प्रसार के पीछे लगे लोगो की जांच पड़ताल शुरू कर दी है और बहुत जल्द ही आरोपियों को पकड़ लेंगे।
पुलिस ने बताया है कि, आरोपी डार्कनेट में सक्रिय है। इसके बाद पुलिस कॉडर्स और डिकॉडर्स की भी मदद ले रहे है इस मामले से जुड़े आरोपियों को पकड़ने के लिए।
क्या है deepfake Video
Deepfake Video में अपराधी AI की मदद से आपका चेहरा किसी और वीडियो में मौजूद व्यक्ति के चेहरा के जगह लगा सकता है। Deepfake में आरोपी इस तरह से एडिटिंग करता है जिससे लगता है की मौजूद वीडियो में आप ही हैं। भारत में Deepfake के मामले तेजी से बढ़ रहे, जो की बहुत चिंता की बात है।
Deepfake के संबंध में सरकार द्वारा आगामी नियम
सूचना मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 23 नवंबर को कहा था कि, सरकार deepfake पर बढ़ती चिंता के चलते बहुत जल्द ही नियम विकसित करने जा रही हैं। इस नियम के चलते इसमें 4 प्रमुख स्तंभ होंगे। इन नियमों में Deepfake का पता लगाना, उनके प्रसार को कम करके या हटा के उनको रोकना, रिपोर्टिंग तंत्र को मज़बूत करना और टेक्नोलॉजी के प्रति जागरूकता फैलाना शामिल हैं। वैष्णव का मानना है कि इससे लोगों के बीच Deepfake के प्रति जागरूकता जागेंगी और इसके मामले भी कम होंगे।