इंदौर। इंदौर वालों को अब नई सख्ती का सामना करना होगा। हर गाड़ी पर अब हाइ सिक्युरिटी नंबर प्लेट जरूरी है। नई गाडिय़ों पर तो खैर शोरूम से प्लेट लग रही है, मगर पुरानी गाडिय़ों पर भी इसे लगाना होगा। इसकी अनदेखी पर जेब ढीली करना पड़ सकती है। परिवहन विभाग इसे लेकर 15 दिसंबर से मुहिम छेडऩे की तैयारी कर रहा है।
कोर्ट गया था मामला
हाइ सिक्युरिटी नंबर प्लेट का मामला हाइकोर्ट तक पहुंचा था। अदालत ने 15 जनवरी तक की मोहलत परिवहन विभाग को दी है। विभाग की कोशिश है कि इससे पहले सभी गाडिय़ों पर एचएसआरपी लग जाए। 1 अप्रैल 2019 के बाद शोरूम से एचएसआरपी लगना शुरू हो गई थी यानी कि विभाग को उससे पहले की गाडिय़ों पर एचएसआरपी लगवाना है। अभी लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। यही वजह है कि पुरानी गाडिय़ों में बहुत कम पर ही एचएसआरपी नजर आती है।
चालान की कार्यवाही होगी
पंद्रह दिसंबर से चालानी कार्रवाई शुरू करने का मकसद ही यही है कि माहौल बनेगा और ज्यादातर लोग अदालत की तरफ से तय तारीख के पहले गाडिय़ों पर एचएसआरपी लगवा लेंगे। गाड़ी मालिक, वाहन शोरूम से एचएसआरपी लगवा सकते हैं। दोपहिया पर तीन सौ से पांच सौ और चार पहिया पर पांच सौ से आठ सौ रुपए खर्च आ रहा है। वाहन-4 पोर्टल पर ऑनलाइन बुकिंग कर प्लेट लगवाई जा सकती है और चाहें तो घर भी मंगा सकते हैं। परिवहन विभाग फिलहाल पूरे प्रदेश में जानकारी इकट्ठा कर रहा है कि एक अप्रैल 2019 से पहले कितनी गाडिय़ां रजिस्टर्ड हुईं, इन गाडिय़ों में कितने पर एचएसआरपी लगी और कितने पर लगना बाकी है। ये है फायदा जानकारों का कहना है कि एचएसआरपी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि अगर ये एक बार टूट जाए तो फिर इसे जोड़ा नहीं जा सकता। ये प्लेट कुछ इस तरीके से बनी होती है कि नकली प्लेट नहीं बना सकते। इससे गाड़ी की सुरक्षा बढ़ जाती है। एल्युमीनियम से बनी नंबर प्लेट गाड़ी के आगे और पीछे लगाई जाती है। ऊपरी बाएं कोने पर नीले रंग का क्रोमियम आधारित अशोक चक्र का होलोग्राम होता है। निचले बाएं कोने पर यूनिक लेजर-ब्रांडेड दस अंकों का स्थायी पहचान नंबर यानि पिन होता है।