इंदौर। शहर में आए दिन घोटाले के मामले सामने आते हैं। कभी फाइलें चोरी हो जाती है, तो कभी फर्जी बिल लगाकर घोटाले किए जाते हैं। अब इंदौर नगर निगम में 28 करोड़ का बिल घोटाला किए जाने की खबर सामने आ रही है। इसमें अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर किए गए है। लेकिन महापौर को इसमें अधिकारियों की मिलीभगत नजर आ रही है। सुनील गुप्ता ने FIR के आवेदन में लिखा है कि, मैं जेल पेन का इस्तेमाल करता हूं, बॉल पेन का नहीं। लेकिन माना जा रहा है कि फर्जीवाड़ा 40 से 50 करोड़ तक हो सकता है। यदि पुराने भुगतान की जांच की जाए तो बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है। अब उच्च स्तरीय कमेटी वर्ष 2022 से पहले हुए सभी कामों की जांच करेगी।
यह घोटाला ड्रेनेज लाइन बिछाये जाने के नाम पर हुआ है। घोटाल शहर में जिन स्थानों पर ड्रेनेज लाइन बिछाई नहीं गई, उनके नाम पर फर्जी बिल और फाइल तैयार कर ली गई साथ ही भुगतान के लिए फार्म ने निगम के लेख विभाग को भेज दी गई। ऑडिट विभाग से बिल पास होने के बाद इस पूरे मामले में खुलासा तब हुआ। जब अकाउंट विभाग ने ड्रेनेज विभाग से इस की जानाकारी जुटाई ओर जांच की तो पता चला इन फाइलों के काम के लिए वर्क आर्डर जारी ही नहीं हुए, तो उनके बिल कैसे पास हो गए।
बड़ा सवाल यह उठता है कि, यह सभी फाइलें सीधे लेखा शाखा तक कैसे पहुंची, जबकि भुगतान के लिए कोई भी बिल हमेशा विभाग की ओर से भेजे जाते हैं। यह बात भी सामने नहीं आई कि ई-नगर पालिका पर आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल कर बिलों की जानकारी किसने अपलोड की? यह बिल अधिक राशि के थे, इसलिए गड़बड़ी सामने आ गई।
हलांकि प्रमुख सचिव ने नगरीय प्रशासन को पत्र लिख 5 फर्म के खिलाफ FIR दर्ज की है। इन कंपनियों के खिलाफ एमजी रोड थाने में मामला दर्ज किया गया हैं। उसका नाम जाकिर (किंग कंस्ट्रक्शन), सिद्दीकी (ग्रीन कंस्ट्रक्शन), साजिद (एनवाईए कंस्ट्रक्शन), राहुल वढेरा (जान्हवी एंटरप्राइजेज) रेनू (सीपी एंटरप्राइजेज)। इन फर्मों को 20 ड्रेनेज लाइनों का काम सौंपा गया था।
पांच साल पुरानी ड्रेनेज लाइन डालने के लिए 28 करोड़ रु.का बिल लेखा शाखा तक पहुंचा था, लेकिन माना जा रहा है कि, फर्जीवाड़ा 40 से 50 करोड़ तक हो सकता है। पुराने भुगतान की जांच की जाए तो बड़ी गड़बड़ी सामने आ सकती है।