बंगाल के कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना से पूरा देश शोक में है। यह दुर्घटना कल यानी 17 जून को हुई है। जिसमें एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी। कंचनजंगा अगरतला से कोलकाता के सियालदह जा रही थी, तब ही दार्जलिंग के रंगापानी स्टेशन के पास यह हादसा हुआ है। इस हादसे में 9 से 15 लोगों की मौत के और 50 लोगों के घायल होने के आंकड़े सामने आए हैं। हादसे में लोको पायलट (ड्राइवर) की भी मौत हो चुकी है।
ड्राइवर और सिग्नल विफलता कौन है ज़िम्मेदार?
हादसे की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि, ड्राइवर और सिग्नल में गड़बड़ी दोनों ही इसके लिए जिम्मेदार हैं। एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक, स्वचालित (ऑटोमैटिक) सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के स्थिति में, स्टेशन मास्टर एक लिखित प्राधिकरण यानी एक अधिकार प्रमाण जारी करता है, जिसे TA 912 के रूप में जाना जाता है। इस अधिकार के अंतर्गत ड्राइवर को सिस्टम की खराबी के कारण सभी लाल सिग्नलों को पार करने की अनुमति मिलती है। यह ही अनुमति ड्राइवर को भी मिली थी, जिसके चलते ड्राइवर किसी भी सिग्नल पर नहीं रुका था। रेलवे बोर्ड का कहना है कि, ड्राइवर को TA 912 के तहत लाल सिग्नल पार करने की अनुमति मिली थी, लेकिन इसके वाबजूद ड्राइवर ने के गति सीमा का उल्लघंन किया जिस वजह से यह हादसा हुआ है।
रेलवे मंत्री की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घटनास्थल का दौरा कर राहत कार्यों का निरीक्षण किया। अश्विनी ने पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा जारी करी है। वह मृतकों के परिवारों के 10 लाख का, गंभीर रूप से घायलों के लिए 2.5 लाख और मामूली रूप से घायलों के लिए 50,000 का मुआवजा देंगे।
ट्रैक में नहीं था कवच सिस्टम
रेलवे बोर्ड अध्यक्ष जया वर्मा का कहना है कि, जिस रूट पर हादसा हुआ है वहां पर कवच सिस्टम नहीं है। जया के मुताबिक, बहुत जल्द इसका विस्तार किया जाएगा। कवच सिस्टम ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) प्रणाली है, जिसे भारत में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RSCO) और अन्य भारतीय फर्मों द्वारा विकसित किया गया था। इसकी विशेषता यह है कि, यदि ड्राइवर समय पर ब्रेक लगाने से चूक जाता है, तो यह सिस्टम ट्रेन की गति को अपने आप नियंत्रित कर लेता है।
हादसे के बाद भाजपा और रेल मंत्री पर विपक्ष का हमला
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, नरेन्द्र मोदी सरकार ने पिछले 10 सालो में रेलवे का मैनेजमेंट बिगाड़ दिया है। उन्होंने मैनेजमेंट के रूप से रेल मंत्रालय को एक कैमरा-संचालित और आत्म-प्रचार के मंच में बदल दिया है। साथ ही अश्विनी वैष्णव के लिए कहा कि, उनका समय रेल मैनेजमेंट से ज्यादा अपने पब्लिक रीलेशन के लिए रील बनाने में चले जाता है। ममता बनर्जी का कहना है कि, रेल मंत्री सरकार द्वारा नियंत्रित होती है। सरकार को सिर्फ चुनाव की चिंता होती है। विपक्ष रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की भी मांग कर रहा है।
जनता की प्रतिक्रिया
इस हादसे के बाद कुछ लोगों का कहना है कि, अश्विनी वैष्णव को भी उसी तरह इस्तीफा दे देना चाहिए, जिस तरह नीतीश कुमार ने 1999 में गैसल ट्रेन हादसे में 290 लोगों की जान जाने के बाद दिया था। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि, इसमें अश्विनी की क्या गलती है ट्रेन वह थोड़ी न चला रहे थे। गलती तो ड्राइवर की थी जिसने नियमों का पालन नहीं किया।