क्रिकेट में कोच का महत्व उतना ही है, जितना एक कुम्हार का मिट्टी के बर्तन बनाने में। कोच खिलाड़ियों को निखारता है, उनकी कमजोरियों को ताकत में बदलता है और टीम को एकजुट करता है। बिना कोच के, टीमें एक दिशाहीन नाव की तरह होती है। कोच के मार्गदर्शन में, खिलाड़ी अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच पाते हैं और टीम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड पिछले कुछ दिनों से टीम इंडिया के हेड कोच की तलाश में जुटी हुई है। वर्तमान मुख्य कोच राहुल द्रविड़ टी20 विश्व कप के बाद पद छोड़ने वाले है ऐसे में बोर्ड हेड कोच की तलाश में लगा हुआ है। वैसे तो द्रविड़ का कार्यकाल एकदिवसीय विश्व कप के बाद ही समाप्त हो गया था लेकिन बीसीसीआई ने उनको जून में होने वाले टी20 विश्व कप तक पद पर बनाये रखने का फैसला किया था।
रोहित-द्रविड़ युग में भारत अभी तक कोई बड़ा टाइटल भले नहीं जीत सका है लेकिन भारतीय टीम लगातार अच्छा प्रदर्शन करती रही है। टीम के विकास में मुख्य कोच का योगदान बहुत अहम रहा है। द्रविड़ की विदाई के दिन नजदीक आ रहे है। ऐसे मे रोहित ने बताया कि कोच की जिम्मेदारी को जारी रखने के लिए उन्होंने द्रविड़ को मनाने की बहुत कोशिश की थी। रोहित इस बारे में बात करते हुए भावुक भी हो गए थे।हालांकि द्रविड़ ने सोमवार को ये स्पष्ट कर दिया था कि टी20 विश्व कप भारतीय टीम के साथ उनका आखिरी टूर्नामेंट होगा।
कप्तान-कोच के इस बॉन्ड को देखकर अचानक कुछ साल पहले का वो दौर भी याद आ गया जब 2017 में कप्तान विराट कोहली से मतभेद के बाद अनिल कुंबले के भारतीय क्रिकेट टीम के कोच पद से हटने पर काफी विवाद हुआ था। दोनों ही मामले एक दूसरे से एक दम अलहदा है। वैसे ज्यादतर भारतीय कोच और खिलाड़ियों के संबंध आपस मे ठीक रहें हैं। हां एक नाम ग्रेग चैपल का जरूर याद आता है। वो 2005 से 2007 के बीच क़रीब 2 साल तक भारतीय टीम के कोच रहे थे। उनका कार्यकाल काफ़ी विवादित रहा था।
यादगार कोच की बात करें तो, 2011 वर्ल्ड कप के दौरान कोच गैरी कर्स्टन का कार्यकाल बहुत बेहतरीन रहा था। उनके मार्गदर्शन मे टीम ने वर्ल्ड कप उठाया है।
फिलहाल बीसीसीआई को टीम इंडिया के हेड कोच के लिए 3,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए है।
सबसे आगे रेस में नाम भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का चल रहा है। उनके KKR कैम्प मे जाते ही KKR भी चैंपियन बन गई है जिससे गंभीर का कद और बढ़ गया है। गंभीर में ऐसे कई गुण है जो उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम के कोच का दावेदार बनाता है। वह क्रिकेट की अच्छी समझ रखते है और दबाव में अच्छे निर्णय लेने में सक्षम है। उनमें किसी खिलाड़ी की क्षमता परखने की कमाल की कला है। सुनील नरेन, वैभव अरोरा, हर्षित राणा जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन इस बात की साफ़ साफ़ गवाही देता है।
फ़िलहाल नए कोच को लेकर कोई नाम सामने नहीं आया है। कोच का ऐलान वर्ल्ड कप के बाद ही होने की संभावना है।