उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने आज यानी 25 नवंबर को “No Non Veg Day” की घोषणा की है। यानी आज के दिन प्रदेश में कहीं नॉन वेज नहीं बिकेगा। हर माँस की दुकानें और बूचड़खाने बंद रहेंगे। सरकार ने यह फैसला साधु टीएल वासवानी की जयंती को देखकर लिया। जिसके बाद विशेष सचिव धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया।
बता दें कि, कई मौकों पर मांस और शराब की दुकानें बंद रखी जाती हैं। महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती, शिवरात्रि महापर्व पर भी मांस की दुकानों को बंद रखे जाने का आदेश दिया जाता है। वहीं, कावड़ यात्रा के दौरान भी यूपी सरकार ने खुले में चल रहीं मांस की दुकानों को बंद रखे जाने का आदेश जारी किया था।
कौन थे साधु टीएल वासवानी
साधु टीएल वासवानी का पूरा नाम साधु थानवरदास लीलाराम वासवानी था। वह एक शिक्षाविद् थे। उनका जन्म पाकिस्तान के सिंध में हुआ था। उन्होंने दसवीं पास करके 1899 में बम्बई विश्वविद्यालय से बीए किया और 1902 में वहीं से एमए करके जीवन प्रभु सेवा को समर्पित कर दिया।
इसके बाद उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में मीरा आंदोलन की शुरुआत की और साथ ही पाकिस्तान के हैदराबाद में सेंट मीरा स्कूल की स्थापना की थी। मगर, विभाजन के बाद वह पुणे चले आए। बाद में उनके जीवन और शिक्षण को समर्पित एक संग्रहालय, दर्शन संग्रहालय को दिया।
हालाकि उनकी माँ की इच्छा थी कि बेटा सफल हो इसलिए उन्होंने माँ की बात रखने के लिए कोलकाता के मेट्रोपॉलिटन कॉलेज में इतिहास और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में एक पद स्वीकार कर लिया। लेकिन गृहस्थ जीवन में वह कभी नहीं बसे। कई समय तक मेट्रोपॉलिटन कॉलेज में इतिहास और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में एक पद स्वीकार किया।
1910 में वह गुरु प्रोमोथोलाल सेन के साथ मुंबई से बर्लिन गए। वहाँ उन्होंने विश्व धर्म कॉन्ग्रेस में भारत के प्रतिनिधि के रूप में सम्मेलनस शांति और भारत की मदद का संदेश दिया। उनके जीवन को समर्पित दर्शन संग्रहालय 2011 में पुणे में खोला गया।
No non-veg day क्यों?
साधु टीएल वासवानी अपने शाकाहारी जीवन की हमेशा वकालत करते थे इसलिए “साधु वासवानी मिशन” के जरिए 25 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय माँस रहित दिवस मनाया जाने लगा। अब इसी आधार पर इस पर योगी सरकार ने भी राज्य में 25 नवंबर को “No Non Veg Day” की घोषणा की है।