आप खुद दिल्ली के किसी भी कॉलोनी में जाइए और पूछिए लोगों से कि, क्या उनको साफ पानी मिल रहा है? जवाब मिलेगा नहीं! वे लोग पानी खरीदकर पी रहे हैं। दूसरी बात आप अस्पतालों में जाकर देख लीजिए कि, मरीज किस तरह परेशान हैं। यही नहीं शिक्षा और अन्य क्षेत्रों मे भी सुधार के खोखले दावे करने वाली आम आदमी पार्टी की पोल एक बार फिर खुल गई है। दिल्ली सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट ने फिर आड़े हाथों लिया है। इस बार मामला दिल्ली में सरकारी और निगम के स्कूलों की बदहाली से जुड़ा हुआ है।
दो लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को नए सेशन की किताबें नहीं दी गई हैं। यही वजह है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली दिल्ली सरकार और आप पार्टी के नेतृत्व वाली MCD को फटकार लगाई है।
चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की बेंच ने कहा कि वह सोमवार जनहित याचिका पर अपना फैसला सुनाएगी, जिसमें एमसीडी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अभी तक नए सेशन की कोर्स बुक नहीं मिलने और बच्चों के टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर होने का मुद्दा उठाया गया ।
तिहाड़ में बंद केजरीवाल की ओर इशारा करते हुए हाई कोर्ट ने कड़े शब्दों मे कहा कि। “आप प्रमुख ने अपनी गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर व्यक्तिगत हित को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा है।” कोर्ट ने आगे कड़े शब्दों मे आगे कहा , “आपकी रुचि केवल सत्ता में है। यह सत्ता का सर्वोच्च अहंकार है। कोर्ट ने कहा कि एक अदालत के रूप में, किताबें, वर्दी आदि का वितरण…यह हमारा काम नहीं है। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि कोई अपने काम में विफल हो रहा है। आपका क्लाइंट सिर्फ सत्ता में रुचि रखता है। मुझे नहीं पता कि आप कितनी शक्ति चाहते हैं। समस्या यह है कि आप सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए आपको सत्ता नहीं मिल रही है।”
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह उसे हल्के में न ले। एसीजे मनमोहन ने कहा कि मामले में दिल्ली सरकार के रुख से साफ हो रहा है कि दिल्ली में चीजें बहुत खराब हैं, MCD के तहत लगभग हर प्रमुख पहलू ठप पड़ा है।
सौरभ को दोबारा घेरा
एक महीने पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायिक आदेशों का पालन न करने पर दिल्ली के स्वास्थ्य और शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज को फटकार लगाई थी । कोर्ट ने कहा है कि, “अगर वो आदेशों का पालन नहीं करते हैं और अपने अहंकार में रहते हैं, तो कोर्ट उन्हें जनहित को देखते हुए जेल भेजने में तनिक भी संकोच नहीं करेगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने सौरभ भारद्वाज को डांट भी लगाई थी और कहा कि,” कोर्ट को वो अपनी राजनीतिक लड़ाई में मोहरा न बनाए।” हाई कोर्ट ने कहा था कि, “हम जज भले हैं और नेता नहीं हैं, लेकिन नेता कैसे सोचते हैं, ये बात हमें अच्छे से पता है।” और अब इस मामले मे भी सौरभ भारद्वाज के रुख पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट बोला कि, “उन्होंने स्टूडेंट की दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं और घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।”
“मुख्यमंत्री की जगह खाली है, इसका मतलब यह नहीं कि स्कूली बच्चों को किताबों के बिना पढ़ने दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अब यह आपकी मर्जी पर है कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार जारी रहेगी। आप हमें उस रास्ते पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं जिस पर हम नहीं जाना चाहते थे। हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार ऐसा कहा है। लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है। अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम पूरी सख्ती के साथ ऐसा करेंगे। इन शब्दों के साथ हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि आदेश में सौरभ भारद्वाज का नाम भी डालेंगे।”