केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए अब ‘No Detention Policy’ को खत्म करने का फैसला किया है। अब कक्षा 5वीं और 8वीं के वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण कर दिया जाएगा और उन छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया है। तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अनबिल महेश पोय्यामोझी ने स्पष्ट किया कि, इस नीति का राज्य के स्कूलों में कोई असर नहीं पड़ेगा और राज्य सरकार अपने शिक्षा मॉडल को बनाए रखेगी। इससे पहले यहनियम था कि, स्कूलों में साल के अंत में परीक्षा में सफल नहीं होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने की अनुमति थी।
‘No Detention Policy’ के महत्व
‘No Detention Policy’ की शुरुआत 2009 में की गई थी। जब सरकार ने यह निर्णय लिया कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा देने के दौरान उन्हें किसी भी कक्षा में असफल नहीं किया जाएगा। इसके अंतर्गत अगर कोई बच्चा वार्षिक परीक्षा में फेल भी हो जाता था, तो भी उसे अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था। इसका उद्देश्य था बच्चों के आत्म-सम्मान को बनाए रखना और उन्हें शैक्षिक दवाब से बचाना, ताकि वे स्कूल छोड़ने के बजाय पढ़ाई में निरंतर लगे रहें। हालांकि, इस नीति की आलोचना भी हुई थी, क्योंकि कुछ लोगों का मानना था कि इससे छात्रों में शिक्षा के प्रति गंभीरता कम हो सकती है और पढ़ाई पर बुरा असर पड़ सकता है।
3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगा नियम
यह अधिसूचना केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों पर लागू होगी। इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, 2019 में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) में संशोधन के बाद पहले से ही 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है।
क्यों खत्म की ‘No Detention Policy’ ?
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से इस पर पिछले कुछ समय से लगातार चर्चा की जा रही थी जिसके बाद अब इसे खत्म करने का फैसला लिया गया है। इस पॉलिसी को खत्म करने का मुख्य उद्देश्य Academic Performance में सुधार लाना है। इसके साथ ही इससे छात्रों की सीखने की क्षमता में भी विकास होगा जिसके चलते केंद्र सरकार की ओर से यह अहम फैसला लिया गया गया है।