केंद्र सरकार ने बुधवार 27 दिसंबर को मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर-मसरत आलम गुट पर बैन लगा दिया। सरकार ने ये कार्रवाई गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत की है। संगठन पर आरोप है कि उसके सदस्य जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में शामिल थे और आतंकी समूहों का समर्थन कर रहे थे। हालांकि इस गैरकानूनी गतिविधियां में (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार ने मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर पांच साल की कार्यवाही की है ।
अमित शाह ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि, मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट) MLJK-MA को UAPA के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। यह संगठन और इसके सदस्य जम्मू कश्मीर में राष्ट्रविरोधी और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हैं और आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करते हैं और लोगों को जम्मू कश्मीर में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए उकसाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का संदेश स्पष्ट है कि, जो भी हमारे देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ काम करेगा, उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत केंद्र सरकार किसी संगठन को ‘गैरकानूनी’ या ‘आतंकवादी’ घोषित कर सकती है। इसे ही आम बोलचाल की भाषा में ‘प्रतिबंध’ बोला जाता है। अगर किसी संगठन को ‘गैरकानूनी’ या ‘आतंकवादी’ घोषित कर दिया जाता है या उस पर ‘प्रतिबंध’ लगाया जा रहा है, तो उसके सदस्यों और उसकी संपत्ति भी जब्त हो सकती है। गृह मंत्रालय के अनुसार, इस समय देश में 42 संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया गया है यानी उन पर प्रतिबंध भी लगा दिया गया है। जिसमे कई खालिस्तानी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, लिट्टे और अलकायदा जैसे 42 संगठन शामिल हैं।
मसरत आलम 2019 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं, वह कश्मीरी कट्टरपंथी अलगाववादी समूह ऑल पार्टीज़ हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) के 2021 में अध्यक्ष बनाए गए थे। वह 50 आतंकी फंडिंग मामले में NIA द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद से तिहाड़ जेल में है। इससे पहले भी मसरत आलम को 2010 में गिरफ्तार किया गया था। इतना ही बल्कि मसरत आलम के खिलाफ 27 FIR भी दर्ज हैं और 36 बार PSA के तहत मामला दर्ज किया गया है। मार्च 2015 में मसरत आलम को रिहा कर दिया गया था।