दिवाली या दीपावली इसे रोशनी के त्यौहार के रूप में और अच्छाई की बुराई पर जीत के नाम भी जाना जाता है। भारत में यह सबसे ज्यादा धूम-धाम से मनाए जाने वाले और सबसे ज्यादा प्रिय त्यौहारों में से एक है। हर साल देशभर में सभी को बस इसका ही इंतजार रहता है। भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी इसे अपने ही एक त्यौहार के तरह मनाया जाता है। वैसे तो यह मुख्य रूप से हिंदू धर्म से जुड़ा हुआ है, लेकिन दूसरे धर्मों और देशों में भी इस त्यौहार का एक अहम महत्व है। ऐसे ही इस त्यौहार से जुड़े ऐसे कई तथ्य और बातें हैं, जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे। वो ही तथ्य और बातें हम आपको इस आर्टिकल में आगे बताएंगे।
क्या है इस साल का शुभ मुहूर्त?
लेकिन उससे पहले इस साल की दिवाली का आप शुभ मुहूर्त जान लीजिए। इस साल की दिवाली का महत्व ज्यादा है, क्योंकि इस बार दिवाली दो दिन यानी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को पड़ रही है। इस बार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर दोपहर 3:52 बजे से शुरू होगी और 1 नवंबर शाम 6:16 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में सभी के मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि, आखिर दिवाली पूजा करनी किस दिन है? तो इस साल दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना शुभ होगा क्योंकि उस दिन अमावस्या तिथि रात भर होगी, जो 1 नवंबर को शाम 6:16 बजे ही समाप्त हो जाएगी। ज्योतिषों के मुताबिक, दिवाली अमावस्या की रात मनाई जानी चाहिए। इसके साथ ही, इस बार भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त 3 नवंबर को दोपहर 2:17 से शाम 4:25 तक रहेगा।
अब जानते है दिवाली से जुड़े वो तथ्य, जिनके बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं हैं।
देश के चारों दिशाओं में होती है अलग-अलग दिवाली
भारत के चारों दिशाओं और विभिन्न क्षेत्रों में दिवाली मनाने की मान्यताएं अलग-अलग हैं। हर दिशा में वहां से जुड़ी पौराणिक कथाएँ दिवाली मनाने की वजह को प्रभावित करती हैं।
उत्तर भारत – उत्तर भारत में दिवाली, भगवान श्री राम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या में उनकी वापसी और रावण पर उनकी जीत का जश्न के रूप में मनाई जाती है। श्री राम की वापसी पर अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में करोड़ों दीप जलाए थे, ये ही कारण है कि इसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है।
दक्षिण भारत – दक्षिण भारत में दिवाली की मान्यता उत्तर भारत से थोड़ी अलग है। यहां पर दिवाली नरक चतुर्दशी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने राक्षस नरकासुर पर विजय प्राप्त की थी। हालांकि, इसे भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। यहां पर दशहरे के ही तरह नरकासुर के पुतले जलाए जाते हैं।
पश्चिमी भारत – पश्चिमी भारत में दिवाली त्यौहार भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान विष्णु ने राक्षस राजा बलि को पाताल लोक में भेज दिया था, जिसके बाद स्वर्ग लोग में शांति और समृद्धि सुनिश्चित हो गई थी।
पूर्वी भारत – पूर्वी भारत में लोग दिवाली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जगह देवी काली की पूजा करते हैं। इस दिन माता काली ने राक्षस रक्तबीज को हराया था, जो अपने खून की हर बूंद के साथ खुद को एक से ज्यादा कर सकता था।
यहां होती है नए साल की शुरुआत
गुजरात और राजस्थान जैसे कुछ राज्य के कुछ हिस्सों में दिवाली को नए साल की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता हैं। व्यवसायी लोग चोपड़ा पूजन करते हैं, जहां वे आगामी सफलता के लिए अपने बहीखातों की पूजा करते हैं। यह पर किसी भी नए उद्यमों और कारोबार की शुरुआत को शुभ माना जाता है।
दिवाली रात जुआ खेलने की है परम्परा
आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन दिवाली के दिन जुआ खेलने की परम्परा है। इसके बारे में माना जाता है कि, इससे पूरे साल सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक ऐसे मान्यता है कि, देवी पार्वती ने भगवान शिव के साथ पासा खेला था और घोषणा की थी कि दिवाली की रात जुआ खेलने वाला व्यक्ति पूरे साल समृद्ध रहेगा। ये ही कारण है कि, दिवाली की रात काफी लोग ताश का खेल खेलते हैं।
क्या है रंगोली का महत्व?
दिवाली के दिन घरों के बाहर रंगोली बनाने का भी एक अहम महत्व है। ऐसा माना जाता है कि, आंगन में रंगोली बनाने से देवी लक्ष्मी घर में आमंत्रित होती हैं और साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा आती हैं।
क्या है दिवाली का कृषि से संबंध?
दिवाली का कृषि से भी अहम संबंध है। दिवाली मानसून के मौसम के अंत में आती है। इस समय नई फसलों का भी आगमन होता है। ऐतिहासिक रूप से, इसे कृषि की समृद्धि का उत्सव और एक नई शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
गैर हिन्दू धर्मों में दिवाली की मान्यता
हिंदू धर्म के अलावा भी ऐसे कई धर्म हैं, जिनमें इस त्यौहार का विशेष महत्व है। जैन धर्म में दिवाली को उनके भगवान महावीर की 24वें तीर्थंकर के मुक्ति का प्रतीक माना जाता है। वहीं, सिख धर्म में इस दिन को सिख गुरु हरगोबिंद सहित 52 राजाओं को जहाँगीर की कैद से रिहा के जश्न के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इसे पंजाब में बंदी छोड़ दिवस के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा कुछ बौद्ध समुदायों में खासकर नेपाल में नेवार परम्परा के लोग, दिवाली को अनुष्ठानों और पैतृक देवताओं को प्रसाद चढ़ाने के रूप में मनाते हैं।
ब्रिटेन में होता है विश्व का सबसे बड़ा दिवाली प्रदर्शन
भारत के अलावा भी कई ऐसे देश हैं, जहां दिवाली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। ऐसे में ही ब्रिटेन का लीसेस्टर शहर है, जहां हर साल विश्व का सबसे बड़ा दिवाली प्रदर्शन होता है। यहां पर हर साल दिवाली समारोह आयोजन किया जाता है, जिसमें 35,000 से अधिक लोग जश्न मनाने के लिए एकत्र होते हैं। यहां पर वह रोशनी, संगीत और सांस्कृतिक प्रदर्शनों के साथ इस दिन को मनाते हैं।
यह थे दिवाली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य। इसी के साथ The Fourth की ओर से आप सभी को शुभ दीपावली।