हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और 17 अप्रैल को समापन होगा। लेकिन ज्यादातर लोग अक्टूबर-नवम्बर में मनाई जाने वाली नवरात्रि के बारे में ही जानते हैं। ऐसे में मन में सवाल जरूर आता है कि, अप्रैल के महीने में यह चैत्र नवरात्रि क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व क्या है। तो, चलिए जानते हैं।
चैत्र और शारदीय नवरात्री बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि, चैत्र के शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नव वर्ष की शुरुवात होती है। पारिवारिक लोगों द्वारा केवल चैत्र और शारदीय नवरात्रि को ही मनाया जाता है। मराठी लोग चैत्र नवरात्रि को ‘गुड़ी पड़वा’, कश्मीरी लोग चैत्र नवरात्रि को हिंदू ‘नवरे’ आंध प्रदेश, तेलांगना और कर्नाटक में इसे ‘उगादी’ के नाम से मनाते हैं।
क्या है शुभ मुहूर्त- 9 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक का है।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है।
पौराणिक कथा के अनुसार, नौ दिनों की लंबी लड़ाई के बाद देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया, जिसके बाद से यह नवरात्र मनाई जाती है। हिंदू भक्त इस त्योहार को भगवान राम को भी समर्पित करते हैं। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन राम नवमी मनाते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि, भगवान विष्णु के सातवें अवतार और अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के पुत्र का जन्म इसी दौरान हुआ था।
नवरात्र का अर्थ है ‘नौ विशेष रातें’। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। आईए जानते हैं, नवरात्रि में माता के नौ दिनों के नौ रूपों के बारे में।
- नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है।
- नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है।
- नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है।
- नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है।
- नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है।
- नवरात्रि का छटवां दिन मां कात्यायनी को समर्पित है।
- नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है।
- नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित है।
- नवरात्रि का नवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है।