गोवर्धन पूजा का महत्व हिन्दू धर्म के लोगों के लिए सबसे अधिक होता है। दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के अगले दिन आता है।इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। इस दिन लोग घर की आंगन में या घर के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
क्या है गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण के द्वारा सबसे गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। कई दिनों के लगातार तूफान के बाद लोगों को परेशान देखकर भगवान इंद्र ने अपनी हार मान ली और बारिश को रोक दिया। इसलिए इस दिन को एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है और इस पूजा का अलग महत्व है। इससे श्री कृष्ण ने भगवान इंद्र के घमंड को चूर कर दिया और सभी ब्रजवासियों ने उस दिन से श्री कृष्ण की पूजा करना शुरू कर दी थी। उस दिन से ही गोवर्धन पूजा मनाई जाती है।और इसी दिन गोवर्धन का विशेष महत्व माना जाता है।
कब है 2023 में गोवर्धन पूजा
आपको बता दे कि इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हो रही है। और इस तिथि का समापन अगले दिन 14 नवंबर, मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को भी मनाई ज सकती है।
आइए जानते है गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।
फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।