लेबनान से लेकर सीरिया तक कल अचानक से धमाके हुए। यह धमाके लगभग एक घंटे तक लोगों की जेब और हाथ में रखे पेजर के फटने की वजह से हुए। इस पेजर ब्लास्ट में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई है और 3000 लोग घायल हो गए है। इस ब्लास्ट में पेजर का इस्तेमाल किया गया था, जिसने सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लेबनान के चरमपंथी संगठन हिजबुल्लाह ने पेजर ब्लास्ट के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि इसकी उचित सजा देंगे। हालांकि इजरायल की तरफ से इस घटना पर कोई बयान नहीं आया है।
क्या है पेजर जिसमें ब्लास्ट हुआ?
पेजर एक छोटी कम्युनिकेशन डिवाइस है, जो मैसेजिंग के लिए इस्तेमाल होती है। 80 के दशक में दुनिया भर में इसका इस्तेमाल होता था। हालांकि मोबाइल और दूसरी टेक्नोलॉजी के आने के बाद पेजर लगभग खत्म हो गया है, पर हिजबुल्लाह जैसे कई आतंकी संगठन और अपराधी अभी भी पेजर का इस्तेमाल करते हैं। क्योंकि यह मोबाइल या दूसरी कम्युनिकेशन डिवाइस के मुकाबले बहुत सुरक्षित माना जाता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता है। पेजर रेडियो वेव्स के जरिये ऑपरेट होता है। ऑपरेटर किसी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर पेजर से मैसेज भेज सकता है।
कैसे काम करता है पेजर?
आसान भाषा में कहें तो अगर आपको पेजर के जरिए किसी को मैसेज भेजना है, तो पहले रिसीवर की रेडियो फ्रीक्वेंसी अपने डिवाइस में सेट करनी होगी और फिर मैसेज भेज सकते हैं। मैसेज उसी यूनिक फ्रीक्वेंसी पर रिसीव होगा। पेजर में कॉलिंग वगैरह की कोई सुविधा नहीं होती है। पेजर, मोबाइल फोन और दूसरी टेक्नोलॉजी के मुकाबले बहुत सिक्योर माने जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक पेजर में बहुत बेसिक टेक्नोलॉजी यूज होती है और तमाम फिजिकल हार्डवेयर हैं, इसलिए उसको मॉनिटर करना मुश्किल होता है। पेजर से भेजे गए मैसेज को भी ट्रैक करना कठिन काम है, इसीलिए हिजबुल्लाह जैसे संगठन अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए का इस्तेमाल करते हैं। पेजर तीन तरह के होते हैं।
- पहले है वन वे पेजर, जिसमें सिर्फ मैसेज रिसीव किया जा सकता है।
- दूसरा है टू वे पेजर, जिसमें मैसेज रिसीव करने के साथ-साथ सेंड करने की भी सुविधा होती है।
- तीसरा है वॉइस पेजर जिसमें वाइस रिकॉर्डेड मैसेज भेजे जा सकते हैं।
आखिर एक साथ पेजर में ब्लास्ट कैसे हुआ?
पहली वजह : एक साथ 1000 से ज्यादा पेजर में धमाका कैसे हुआ? इसके पीछे अलग-अलग वजह सामने आ रही हैं। पहली वजह है कि, हिजबुल्लाह के पेजर जिन रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम कर रहे थे, उनको हैक कर लिया गया होगा और फिर सिग्नल के जरिए पहले से डॉक्टर्ड पेजर में धमाका किया गया है। डाटा एनालिस्ट राल्फ बायदों अल जजीरा से कहते हैं कि पेजर में लिथियम की बैटरी लगी होती है। अगर पेजर को हैक कर लिया जाए तो उसकी बैटरी को ओवरहीट किया जा सकता है, उसके बाद एक प्रक्रिया शुरू होता है जिसको ‘थर्मल रनअवे’ प्रोसेस कहते हैं। इस प्रक्रिया में केमिकल चेन रिएक्शन होता है और अचानक बैटरी का टेंपरेचर इतना बढ़ जाता है कि उसमें बहुत तेज धमाका हो सकता है। लेकिन एक साथ इतने पेजर में इस तरह से धमाका संभव नहीं है। इसके लिए पेजर में पहले से ही कोई बग होना जरूरी है और इस बात की ज्यादा आशंका है कि हिजबुल्लाह के लड़ाके के जो पेजर यूज कर रहे थे, उनमें पहले से ही बग प्लांट था।
दूसरी वजह: पेजर ब्लास्ट के पीछे एक दूसरी वजह भी सामने आ रही है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल्लाह ने कुछ महीने पहले ताइवान की एक कंपनी गोल्ड अपोलो को करीब 5000 पेजर का आर्डर दिया था। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद को इसकी खबर लग गई थी और इसी दौरान मोसाद ने पेजर में करीब तीन-तीन ग्राम विस्फोटक प्लांट कर दिए थे। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजरायल ने पेजर की खेप लेबनान पहुंचने से पहले ही उसको बीच में रोक लिया था, फिर उसमें बारूद प्लांट कर दिए थे।