हाल ही में देश में दो दिल दहला देने वाले रेप केस सामने आए—मध्य प्रदेश में एक 40 साल के व्यक्ति ने 11 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और पुणे में एक महिला को बस में एक आदमी ने अपनी हवस का शिकार बनाया। दोनों मामलों में एक चीज़ समान थी—दोनों आरोपी पहले भी अपराध कर चुके थे और जेल से बाहर आने के बाद फिर से वही जुर्म किया। इन घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर लोग अक्कू यादव केस को याद कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि जब कानून और पुलिस पीड़ितों की रक्षा करने में नाकाम हो जाए, तो क्या जनता को खुद न्याय लेना चाहिए?
आइए देखते हैं, आखिर अक्कू यादव केस क्या था और क्यों यह अब भी लोगों के दिलों में जिंदा है।
अक्कू यादव: 10 साल का आतंक
नागपुर के कस्तूरबा नगर की गलियों में अक्कू यादव नाम डर और खौफ का प्रतीक बन चुका था। 90 के दशक से लेकर 2004 तक, उसने इलाके की सैकड़ों महिलाओं का रेप किया, लोगों से वसूली की और जो भी उसके खिलाफ खड़ा हुआ, उसे बेरहमी से मार दिया। स्थानीय पुलिस और कानून उसके खिलाफ कुछ नहीं कर रहे थे, क्योंकि वह उन्हें रिश्वत देकर अपने बचाव में रखता था।
कौन थी उषा नारायण
2004 में उषा नारायण नाम की महिला ने अक्कू यादव के खिलाफ आवाज उठाई। जब उसने उषा को धमकाने की कोशिश की, तो उन्होंने पूरे मोहल्ले को एकजुट किया और उसके आतंक के खिलाफ खड़े होने का फैसला लिया।
कोर्ट में मौत: जब जनता ने लिया अपना इंसाफ
13 अगस्त 2004 को जब अक्कू यादव की कोर्ट में पेशी थी, तो करीब 200 महिलाएँ वहां पहुंचीं। जैसे ही उसने एक महिला को देखकर फिर से धमकी दी कि वह उसे दोबारा रेप करेगा, भीड़ का गुस्सा फूट पड़ा। महिलाओं ने चाकू, मिर्च पाउडर और पत्थरों से उस पर हमला कर दिया। उसे करीब 70 बार चाकू मारा गया और वहीं उसकी मौत हो गई।
क्या बदला इन 21 सालों में?
अक्कू यादव की हत्या के बाद पांच महिलाओं को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन पूरी बस्ती ने एक साथ बयान दिया की “हम सबने इसे मारा है।” इस वजह से पुलिस असली दोषियों को नहीं पकड़ पाई और यह घटना भारत के सबसे चर्चित public revenge केस में से एक बन गई। आज जब हम 2025 में देखते हैं, तो क्या स्थिति बदली है?
मध्य प्रदेश और पुणे की घटनाओं में भी आरोपी पहले से अपराधी थे, लेकिन वे कानून की ढील के कारण छूट गए। रेपिस्ट जेल से बाहर आकर फिर से वही अपराध दोहराते हैं, क्योंकि उन्हें कानून का डर नहीं होता।
क्या फिर महिलाओं को ही खड़े होना पड़ेगा अपने न्याय के लिए?
अक्कू यादव केस एक चेतावनी थी कि जब सरकार और कानून असफल हो जाते हैं, तो जनता खुद इंसाफ करने पर मजबूर हो जाती है। आज, जब ऐसे ही अपराध रोज़ सामने आ रहे हैं, तो लोग सवाल पूछ रहे हैं की क्या हमें फिर से अक्कू यादव जैसी घटनाओं की जरूरत पड़ेगी? क्या तब तक महिलाएँ असुरक्षित रहेंगी, जब तक वे खुद अपना बदला न ले लें? यह सवाल अब सिर्फ सोशल मीडिया पर नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन चुका है।