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Reading: क्यों कहा जाता है इब्राहिम रईसी को ‘तेहरान का कसाई’ ?
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क्यों कहा जाता है इब्राहिम रईसी को ‘तेहरान का कसाई’ ?

राष्ट्रपति बनने का पूरे देश में व्यापक रूप से विरोध हुआ था।

Last updated: मई 20, 2024 7:11 अपराह्न
By Divya 12 महीना पहले
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6 Min Read
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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर रविवार को एक हादसे का शिकार हो गया। इस की जानकारी ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने आज सुबह दी है। अजरबैजान से लौटते समय उनका हेलिकॉप्टर रविवार शाम करीब 7 बजे लापता हो गया था। इसमें रईसी, विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन समेत 9 लोग सवार थे। आधिकारिक तौर पर हादसे की वजह बारिश , कोहरा और खराब मौसम को बताया जा रहा है। वहीं, सोशल मीडिया पर कुछ लोग इसे ईरान के दुश्मन इजरायल की ‘साजिश’ कह रहे है। हालांकि अब सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि हाल ही में हमास और इजरायल के तनाव में ईरान खुलकर हमास का समर्थन कर रहा था और पिछले दिनों ईरान और इजरायल दोनों की ओर से एक-दूसरे को हवाई हमले में निशाना बनाने का दावा किया गया था।

कौन थे इब्राहिम रईसी ?

इब्राहिम रईसी ने 2021 में एक चुनाव के बाद ईरान के राष्ट्रपति का पद संभाला था। उनके राष्ट्रपति बनने का पूरे देश में व्यापक रूप से विरोध हुआ था, क्योंकि उन्हें रूढ़िवादी मानसिकता का पक्षकार माना जाता था और चुनावों में धांधली होने की बात कही गई थी। हालांकि अंत में रईसी को विजयी माना गया। जिसमें केवल 62 फीसद वोट ही डाले गए थे। यह चार दशकों में ईरानी चुनाव में होने वाला सबसे कम मतदान था। रईसी को ईरान के सर्वोच्च नेता और सबसे शक्तिशाली धार्मिक गुरू ‘अली खामेनेई’ का राजनीतिक सहयोगी और उनका संभावित उत्तराधिकारी भी माना जाता था। निर्वाचित होने के बाद से रईसी ने गंभीर आर्थिक संकट और इजरायल के साथ देश के संघर्ष में ऐतिहासिक वृद्धि के दौरान शासन करते हुए, मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव का विस्तार करने के लिए काम किया था। इस कारण इजरायल और ईरान में जंग जैसे हालात भी हो गए थे।

3000 से ज्यादा राजनीतिक कैदियों को दी थी फांसी

ईरान में साल 1988 में राजनीतिक विरोधियों के लिए एक 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इन 4 सदस्यों में इब्राहिम रईसी भी शामिल थे। इस कमेटी को ईरान में अनौपचारिक रूप से ‘Death Committee’ भी कहा जाता है। 19 जुलाई 1988 के बाद 5 माह तक राजनीतिक कैदियों को फांसी देने का सिलसिला चलता रहा था। इस दौरान करीब 3000 से ज्यादा राजनीतिक विरोधियों को फांसी पर लटका दिया गया था। मारे गए लोगों में अधिकांश लोग ईरान के पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन के समर्थक थे। इस घटनाक्रम के कारण ही इब्राहिम रईसी को ‘तेहरान का कसाई’ भी कहा जाता था।

इस्लामिक कानून के जानकार थे इब्राहिम रईसी

इब्राहिम रईसी इस्लामिक कानून के जानकार थे। ईरान में राजशाही के खत्म होने के बाद कट्टर इस्लामी या शरिया कानून पर आधारित एक नई राजनीतिक व्यवस्था स्थापित होने लगी थी और इस दौर में इब्राहिम रईसी एक बड़े नेता के रूप में उभर कर सामने आए थे। इब्राहिम रईसी के कार्यकाल में महिलाओं की शादी की उम्र 13 साल से घटाकर 9 साल कर दी गई थी।

साल 2017 में इब्राहिम रईसी बने राष्ट्रपति

साल 2017 के चुनाव में रईसी के सभी विरोधियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया था, क्योंकि रईसी विरोधी नेता ईरान की जांच प्रणाली का सामना कर रहे थे। इस चुनाव में रईसी को ईरान की 2.89 वोटर्स में से 62 फीसदी वोट मिले थे। इसे इस्लामिक गणराज्य ईरान के इतिहास में सबसे कम वोट प्रतिशत माना जाता है। साल 2017 में राष्ट्रपति बनने के बाद जब इब्राहिम से साल 1988 में हुई सामूहिक फांसी के बारे में पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया था। ईरानी मीडिया के मुताबिक, सामूहिक रूप से फांसी पाने वालों में राजनीतिक बंदी, उग्रवादी और अन्य लोग भी शामिल थे।

क्या ‘मोहम्मद मोखबर’ होंगे अब ईरान के नए राष्ट्रपति ?

इब्राहिम रईसी की मौत होने के बाद अगला राष्ट्रपति कौन होगा इसे लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे। बता दे कि, ईरानी संविधान का अनुच्छेद 131 कहता है कि यदि राष्ट्रपति का उनके कार्यकाल के दौरान निधन हो जाता है, तो पहला उपराष्ट्रपति अस्थायी राष्ट्रपति पद ग्रहण करता है, जो सर्वोच्च नेता की पुष्टि के अधीन है। तो उस हिसाब से वर्तमान में ‘मोहम्मद मोखबर’ ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति हैं। तो वही इब्राहिम रईसी के उत्तराधिकारी होंगे। लेकिन उनकी राष्ट्रपति पद पर नियुक्ति सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की मंजूरी पर निर्भर करेगी। इसके अतिरिक्त, प्रथम उपराष्ट्रपति, संसद अध्यक्ष और न्यायपालिका प्रमुख वाली एक परिषद को अधिकतम 50 दिनों की अवधि के भीतर एक नया राष्ट्रपति चुनाव आयोजित कराना होगा।

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