कुछ दिनों पहले New Zealand की संसद में बड़ी घटना घटीत हुई। सांसद Laura McClure द्वारा संसद में खुद की Deep fake Nude Picture दिखाना एक साहसिक और चेतावनीपूर्ण कदम था। इस घटना Artificial Intelligence के गंभीर खतरों को फिर से उजागर करने का काम किया। यह घटना न केवल डिजिटल युग में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मौजूदा कानून इस नई तकनीकी चुनौती से निपटने में कितने असमर्थ हैं।
Deep fake तकनीक AI की सहायता से किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़ या शरीर को नकली तरीके से वीडियो या पिक्चर में प्रेजेंट करती है। यह तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि नकली और असली के बीच फर्क करना मुश्किल हो गया है। Laura McClure ने बताया कि उन्होंने मात्र पाँच मिनट में एक ऑनलाइन टूल की मदद से अपनी Deep fake nude छवि बना ली, जो इतनी वास्तविक लग रही थी कि उन्हें खुद को देखकर डर लग गया।
यह घटना यह दर्शाती है कि कैसे कोई भी व्यक्ति, बिना किसी तकनीकी की बहुत जानकारी के बिना भी किसी की भी छवि को अश्लील तरीके से प्रस्तुत कर सकता है। यह न केवल privacy और individuality का उल्लंघन है, बल्कि किसी के लिए भी उसकी मेंटल हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव डालता है।
New Zealand में “Harmful Digital Communications Act 2015” के तहत गैर-सहमति से साझा की गई Obscene pictures को अपराध माना जाता है। हालांकि, यह कानून केवल रियल इमेज पर लागू होता है, न कि Deep fake जैसी नकली इमेज पर। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति किसी की नकली अश्लील इमेज बनाता है, तो उसे मौजूदा कानूनों के तहत दंडित करना मुश्किल है।
Laura McClure ने इस कानूनी खामी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि Deep fake इमेज भी उतनी ही खतरनाक हैं जितनी कि रियल इमेज, और इन्हें भी कानून के दायरे में लाना आवश्यक है।
Australia ने इस दिशा में कदम उठाते हुए गैर-सहमति से बनाई गई Deep fake अश्लील Content को अपराध घोषित किया है, जिसमें दोषियों को सात साल तक की सजा हो सकती है। इसके विपरीत, New Zealand अभी भी इस मुद्दे पर पीछे है, और वहां के कानून Deep fake के दायरे को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं करते।
इसके अलावा, America और United Kingdom जैसे देशों में भी Deep fake के दुरुपयोग को रोकने के लिए नए कानूनों पर विचार किया जा रहा है, जो इस तकनीक के बढ़ते खतरे को दर्शाता है।
Deep fake तकनीक का सबसे बड़ा शिकार महिलाएँ बन रही हैं। एक study के अनुसार, 96% Deep fake वीडियो अश्लील होते हैं, जिनमें से अधिकांश में महिलाओं को निशाना बनाया जाता है । यह न केवल महिलाओं की गरिमा और आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाता है, बल्कि उन्हें मानसिक तनाव, डिप्रेशन और सामाजिक बहिष्कार का भी सामना करना पड़ता है।
New Zealand में ही एक 13 वर्षीय लड़की ने स्कूल में Deep fake छवि के कारण आत्महत्या का प्रयास किया था, जो इस तकनीक के गंभीर मानसिक प्रभावों को समझने के लिए काफी है।
Deep fake तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन आवश्यक है, ताकि नकली अश्लील Content भी अपराध की केटेगरी में आए। साथ ही, स्कूलों और कॉलेजों में डिजिटल एजुकेशन और ऑनलाइन behaviour के बारे में awareness फैलाना बेहद जरूरी है, ताकि युवा पीढ़ी इस तकनीक के खतरों को समझ सके।
इसके अलावा AI और मशीन लर्निंग की मदद से ऐसे टूल्स डेवलप किए जा सकते हैं जो Deep fake content की पहचान कर सकें और उन्हें प्लेटफॉर्म्स से हटाया जा सके।
Laura McClure की संसद में उठाई गई आवाज़ एक चेतावनी है कि यदि हम अभी नहीं जागे, तो Deep fake तकनीक हमारे समाज में गहरे घाव छोड़ सकती है। यह समय है कि हम इस तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएँ, ताकि हर व्यक्ति की privacy और individuality सुरक्षित रह सके।