देश में लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चूका है और राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में भी जुट गए हैं। लेकिन मध्यप्रदेश में देश की सबसे पुरानी राजनीतिक दल यानि कांग्रेस एक अलग ही चुनौती से ज़ुझ रही है। कांग्रेस के नेता एक के बाद एक छोड़ कर भाजपा में जा रहे हैं। यह संख्या 16 हज़ार तक जा पहुंची है, जिसके बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस में हाहाकार मचा हुआ है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने अभी तक सीटों पर उम्मीदवारों के नाम भी तय नहीं किये हैं जबकि बीजेपी उम्मीदवारों ने नामांकन भी शुरू कर दिया है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, मध्यप्रदेश में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं के स्वागत की तस्वीरें इन दिनों बेहद आम हो गई है। पिछले 1-2 महीने से शायद ही ऐसा कोई दिन जाता है जब कांग्रेस छोड़कर कोई नेता बीजेपी में ना जा रहा हो। कांग्रेस के नाराज़ नेताओं को बीजेपी में लाने की ज़िम्मेदारी पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को सौंपी है। हाल ही में दतिया से विधानसभा चुनाव हार चुके नरोत्तम मिश्रा को बीजेपी न्यू जोइनिंग टोली का संयोजक बनाया गया है और वो लगातार अपने काम को अंजाम देते हुए हज़ारों कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को बीजेपी में शामिल करवा चुके हैं।
75 दिन में बीजेपी में 16 हज़ार नई भर्तियां
बीजेपी में जो डाटा न्यू ज्वाइनिंग का मैंटेन किया जा रहा है। उसके मुताबिक पिछले 75 दिनों में 16 हज़ार नेताओं ने भाजपा की सदस्यता ली है। हर दिन 250 के करीब कार्यकर्ता कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। इनमें पूर्व सांसद से लेकर पूर्व विधायक पूर्व मंत्री, पूर्व महापौर और मौजूदा महापौर तक कई पदाधिकारी शामिल हैं। पार्टी जिस रफ्तार से ज्वाइनिंग करवा रही है, तैयारी ये है कि इसे रिकार्ड की तरह गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड का हिस्सा बनाया जाएगा। देश में फिलहाल मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा सदस्यता हुई है। अब इसे बरकरार रखते हुए न्यू ज्वाइनिंग में मध्यप्रदेश को नंबर वन पर ले जाने की तैयारी में है बीजेपी।
छिंदवाड़ा में सबसे ज्यादा टूट
जिस लोकसभा सीट से बीते दो हफ्तों में से बड़ी टूट हो हुई है, वो छिंदवाड़ा है। पहले कमलनाथ के बेहद करीबी माने जाने वाले सैयद जाफर के साथ बड़ी टूट हुई है। अब कमलनाथ के दांए हाथ माने जाने वाले दीपक सक्सेना के बेटे अजय सक्सेना समेत 400 से अधिक छिंदवाड़ा के पदाधिकारियों ने एक ही दिन में बीजेपी की सदस्यता ले ली। दीपक सक्सेना भी कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। उनकी केवल सदस्यता की औपचारिकता बाकी है।
जब कभी भी सियासी दलों की टूट का जिक्र होगा तो शायद मध्यप्रदेश कांग्रेस में लगातार हो रही टूट सबसे पहले याद आयेगी। यहां 75 दिनों में 16 हज़ार से अधिक कांग्रेसियों ने भाजपा से नाता जोड़ लिया, जिसमें सबसे ज्यादा कार्यकर्ता कांग्रेस के मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा के शामिल हैं।