कांग्रेस और सपा के गठबंधन को मध्य प्रदेश के खजुराहो से बड़ा झटका लगा है। खजुराहो से गठबंधन की उम्मीदवार मीरा यादव का नामांकन पत्र निरस्त हो गया है। मीरा का नामांकन भारत चुनाव आयोग को अनिवार्य दस्तावेज न देने पर निरस्त हुआ है। मीरा के पहले सपा ने मनोज यादव को उम्मीदवार के रूप में चुना था, लेकिन बाद में सपा ने मनोज को हटाकर मीरा को उम्मीदवार बना दिया था। मध्य प्रदेश में सपा के पास खजुराहो की एक मात्र सीट थी। कांग्रेस ने भी यह सीट गठबंधन के सीट बंटवारे में सपा के लिए छोड़ी थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि, पन्ना के जिला कलेक्टर जो साथ में रिटर्निंग अधिकारी भी है, उन्होंने मीरा का नामांकन पत्र इसलिए खारिज कर दिया है क्यूंकि उन्होंने ‘बी फॉर्म’ पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए थे। साथ ही वह 2023 विधानसभा चुनाव मतदाता सूची की असल कॉपी देने में भी असमर्थ थी।
मीरा के नामांकन खारिज होने पर उनके पति दीप नारायण यादव ने पत्रकारों से कहा है कि, रिटर्निंग ऑफिसर के यह आदेश सारासर गैरकानूनी है और वह इसके खिलाफ हाई कोर्ट भी जाएंगे। उन्होंने कल ही जांच के बाद फॉर्म को सही घोषित किया था तो फिर आज कैसे अचानक से फॉर्म खारिज हो गया?
उन्होंने आगे कहा कि, ऐसा नियम है कि जब कुछ गड़बड़ी होती है तो ऐसे में रिटर्निंग ऑफिसर का काम होता उसे ठीक करना। लेकिन उन्होंने तो मीरा का नामांकन पत्र सिर्फ दो कमियों के वजह से ही निरस्त कर दिया। उनसे बस इतनी गलती हुई थी कि फॉर्म के साथ लगी मतदाता सूची प्रमाणित नहीं थी और दो स्थानों के जगह सिर्फ एक ही स्थान पर हस्ताक्षर हुआ था। उन्होंने आगे यह भी कहा कि, उन्हें 3 अप्रैल तक मतदाता सूची की प्रमाणित कॉपी नहीं दी गई थी, इसलिए उनके पास जो कॉपी उपलब्ध थी उन्होंने उसे ही लगा दी थी।
मीरा के नामांकन पत्र निरस्त होने पर सपा और कांग्रेस नेता भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, यह घटना सरेआम लोकतंत्र की हत्या है। उन्होंने कहा कि, जब पत्र में हस्ताक्षर थे ही नहीं तो पहले स्थान पर उसे स्वीकार ही क्यों किया गया? जो कोर्ट के कैमरा पर धोका दे सकते है वह फॉर्म मिलने पर पीठ पीछे साजिशें भी तो रच सकते हैं। यह सब हारी हुई भाजपा के बहाने हैं। इस मामले में जांच होनी चाहिए। वहीं जीतू पटवारी ने भी कहा कि, पत्र निरस्त हुआ नहीं है बल्कि करवाया गया है। इसमें भाजपा का हाथ है।
मीरा यादव के नामांकन पत्र निरस्त होने से गठबंधन पर भरी असर पड़ने वाला है। मीरा गठबंधन की तरफ से मध्य प्रदेश में इकलौती उम्मीदवार थी। अब गठबंधन की तरफ से मध्य प्रदेश में कोई भी उम्मीदवार नहीं बचा है।