प्रयागराज में हर बार महाकुंभ का आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस धार्मिक और ऐतिहासिक आयोजन के लिए रेलवे ने Special Trains की व्यवस्था की, ताकि दूर-दराज से लोग आसानी से यहां पहुंच सकें। लेकिन हाल ही में महाकुंभ Special Trains में हुई घटनाओं ने व्यवस्थाओं और लोगों के Civic Sense पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
खिड़कियां तोड़कर कोच में जबरदस्ती घुसे लोग
प्रयागराज जा रही एक महाकुंभ Special Train में कई लोग खिड़कियां तोड़कर और दरवाजे धक्का देकर AC और First-Class Coaches में घुस गए। इन Coaches में उन यात्रियों ने यात्रा की योजना की थी, जिन्होंने अपनी सुविधा के लिए हजारों रुपये खर्च करके टिकट खरीदी थीं। लेकिन उनकी सीट तो दूर, उन्हें फर्श पर बैठने तक की जगह ढूंढनी पड़ी।
बर्बाद होती रेलवे की सुविधाएं
ट्रेन के अंदर कई जगह खिड़कियों और सीट्स को नुकसान पहुंचया गया था। AC Coaches का Temperature Control बिगड़ गया क्योंकि खिड़कियां टूट चुकी थीं। शौचालय गंदगी से भर गए और Train Staff इस स्थिति को संभालने में असमर्थ दिखा।
क्या सरकार ने की पर्याप्त तैयारी?
इस स्थिति को देखते हुए कई लोग Railway Administration पर उंगली उठा रहे हैं। क्या ऐसे बड़े अयोजन के लिए पर्याप्त ट्रेन और सुरक्षा योजना की गई थी? क्या Train Staff और Security Guards को ऐसी भीड़ को संभालने के लिए उचित प्रशिक्षण दी गई थी? लोगों की सुने तो सरकार की किसी तरह की तैयारी नहीं थी, वही सरकार के मुताबिक इस आयोजन के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार थी।
Civic Sense की कमी
सुविधाओं की कमी के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहराना सही है, लेकिन जो लोग बिना टिकट के Coaches में घुसकर सीट्स पर कब्जा कर लेते हैं, क्या उनकी ज़िम्मेदारी नहीं बनती? जिन यात्रियों ने हजारों रुपये खर्च करके टिकट खरीदी, उन्हें ज़बरदस्ती Coaches से बाहर धकेला जा रहा है।
Ticket Holders के साथ अन्याय
महाकुंभ में जाने वाले कई लोग Premium Coaches में यात्रा की योजना बनाते हैं ताकि आराम से सफर कर सकें। लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनकी Reserved Seats पर कोई और बैठा है, तो उनका गुस्सा स्वाभाविक था। हजारों रुपये खर्च करने के बावजूद उन्हें फर्श पर बैठने को मजबूर किया गया।
आखिर किसकी है गलती?
महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में ऐसी घटनाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि यह समस्या सरकार की योजना की कमी है या हमारी Civic Sense की। जब लोग खुद ही ट्रेन की सुविधाओं को ख़राब करेंगे, तो क्या उन्हें बेहतर की उम्मीद करनी चाहिए? Reserved Tickets लेने वाले यात्रियों को जिस असुविधा का सामना करना पड़ता है, वह समाज में Fairness और सम्मान की कमी को दर्शाता है।
यह घटना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि समाज के हर व्यक्ति को यह समझने की जरूरत है कि Public Property हमारी संपत्ति है और इसे नष्ट करने से नुकसान अंततः हम सभी का होता है। महाकुंभ जैसी धार्मिक यात्राओं का उद्देश्य शांति और आध्यात्मिकता को बढ़ावा देना है, लेकिन जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो इसका मतलब ही खो जाता है। हमें आत्म-अनुशासन और पारस्परिक सम्मान को अपनाना होगा ताकि भविष्य में ऐसे आयोजनों को बेहतर और सभ्य बनाया जा सके।