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मंडला, रायसेन, भोपाल, इंदौर और अब जबलपुर…मध्यप्रदेश में तेजी से फैल रहा है धर्मांतरण का जाल

सरकार ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून 2022 की अधिसूचना जारी की

Last updated: अप्रैल 1, 2025 1:35 अपराह्न
By Rajneesh 2 महीना पहले
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8 Min Read
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मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों में तेज़ी देखी गई है। दिसंबर 2022 में, सरकार ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून 2022 की अधिसूचना जारी की, जिसमें धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचना देनी होगी। इस कानून के तहत, जबरन या प्रलोभन से धर्मांतरण कराने पर 10 साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

इस कानून के तहत बीते 4 साल में 200 से ज्यादा केस दर्ज होने की जानकारी है। वैसे मध्य प्रदेश में पिछले दो वर्षों में धर्मांतरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामले सामने आए हैं, जो इस विषय की गंभीरता को दर्शाते हैं। कुछ बीते सालों में कई केस सामने आए हैं जैसे कल ही जबलपुर में एक विवादास्पद घटना सामने आई, जिसमें हिंदूवादी संगठनों ने मंडला से आई दो बसों को रोककर आरोप लगाया कि इन बसों में सवार आदिवासियों को जबरन धर्मांतरण के उद्देश्य से चर्च लाया गया था। संगठनों ने बसों को थाने तक पहुंचाया, जहां पुलिस ने यात्रियों की जानकारी दर्ज कर उन्हें वापस भेज दिया। इस दौरान रांझी थाने में घंटों तक तनावपूर्ण माहौल बना रहा।

इसके अलावा मंडला जिले में ईसाई मिशनरियाँ सक्रिय हैं। ये स्कूल चला रही हैं, ये हॉस्टल चला रही हैं, जिनमें बच्चों को शिक्षा के नाम पर ईसाई बनाया जा रहा है। मंडला के घुटास ग्राम में साइन फॉर इंडिया नाम का स्कूल है, इसके हॉस्टल में रहने वाले 15 लड़कियों और 33 लड़कों को ईसाई बना दिया गया है। इस स्कूल को हॉस्टल चलाने की अनुमति तक नहीं है।

रायसेन जिले का पापड़ा गांव भी एक संवेदनशील सामाजिक परिवर्तन का गवाह बन रहा है, जहां नट समुदाय के कुछ सदस्य अब खुद को मुस्लिम मानने लगे हैं। हालांकि उनके दस्तावेजों में वे अनुसूचित जाति (SC) के रूप में दर्ज हैं, लेकिन अब वे अपने बच्चों को कुरान की शिक्षा देने और इस्लामिक रीति-रिवाजों का पालन करने लगे हैं। पापड़ा गांव में रहने वाले लोगों का कहना है कि कुछ सालों पहले बाहरी मौलवी इस गांव में आकर इस्लाम की शिक्षा देने लगे थे। इसके बाद से गांव के नट समुदाय के कई परिवारों ने इस्लाम को अपनाना शुरू किया। स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यह बदलाव बाहरी प्रभाव के कारण हुआ है।

मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की जाँच में पता चला कि इन बच्चों का ब्रेनवॉश करके उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इस स्कूल को ओडिशा का ज्योति राज बिना किसी अनुमति के चला रहा है। जब आयोग की टीम स्कूल पहुंची, तो बच्चों को बाइबिल के साथ प्रार्थना कक्ष में जाना देखा। बच्चों ने कहा कि वे रोज शाम ईसाई प्रार्थना करते हैं और पहले वे दूसरे धर्म को मानते थे।आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सारी जानकारी भोपाल मुख्यालय व प्रशासन को कार्रवाई के लिए भेज दी है।

कुछ समय पहले छतरपुर जिले के रामगढ़ गांव में पिछले कुछ वर्षों में धर्मांतरण की घटनाएं बढ़ी हैं, जहां आदिवासी समुदाय के कई सदस्य ईसाई धर्म को अपना रहे हैं। रामगढ़ में पहले चर्च का निर्माण हुआ, और अब यहां के आदिवासी परिवारों के बच्चों के नाम बदलकर ईसाई नाम रखे गए हैं। रामगढ़ के सरकारी स्कूल में कुल 38 छात्र हैं, जिनमें से अधिकांश अनुसूचित जनजाति के हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के नाम भी ईसाईकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बन गए हैं। बच्चों के नाम जैसे डेविड, जोएल, एलिशा आदि अब स्कूल के रजिस्टर में दर्ज हैं, जबकि धर्म के कॉलम में बच्चों का धर्म हिंदू ही लिखा गया है। कुछ बच्चे अब गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे आयोजनों में तिलक लगाने और प्रसाद लेने से भी इनकार करने लगे हैं। इस घटना ने समाज में हंगामा मचाया है और अधिकारियों से मामले की जांच की मांग की जा रही है।

जुलाई 2023 में झाबुआ जिले की एक अदालत ने प्रलोभन देकर आदिवासी समुदाय के सदस्यों का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में एक ईसाई पादरी और दो अन्य व्यक्तियों को दोषी ठहराया। उन्हें दो साल के सश्रम कारावास और 50-50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई। यह मामला 2021 का है, जब आरोपियों ने मुफ्त शिक्षा और अन्य लालच देकर धर्मांतरण का प्रयास किया था। ​

मई 2023 में शहडोल जिले के जैतपुर थाना क्षेत्र में एक घर में वनवासियों को लालच देकर धर्मांतरण कराने का प्रयास किया जा रहा था। समाजसेविका सुनैना सिंह सैय्याम की सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पादरी शंकर समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया।

दिसंबर 2024 में, इंदौर जिला कोर्ट ने इन दोनों आरोपियों को एक-एक साल की सजा सुनाई, यह मानते हुए कि उनका कृत्य संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करता है। ये मामला 2014 का था, जिसमें दो व्यक्तियों ने हिंदू धर्मग्रंथों को काल्पनिक बताते हुए लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिया था। उन्होंने मुफ्त शिक्षा, इलाज, और बिना ब्याज के लोन जैसी सुविधाओं का वादा किया था।

धर्मांतरण विरोधी कानून को और सख्त होने की जरूरत?

फ़िलहाल भारत के 11 राज्यों में धर्मांतरण विरोधी कानून मौजूद है। ये राज्य हैं – ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश। लेकिन पिछले महीने ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में धर्मांतरण पर फांसी की सजा देने की बात की है। यादव ने 8 मार्च को भोपाल में महिला दिवस के एक कार्यक्रम में कहा कि मप्र में लागू धार्मिक स्वतंत्रता कानून में सरकार फांसी का प्रावधान कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा जो धर्मांतरण पर फांसी की सजा का प्रावधान करेगा। हालांकि अगर कानून पारित हो भी जाता है तो फांसी की सज़ा मुश्किल होगी।

मध्य प्रदेश में धर्मांतरण के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि खतरनाक है। सरकार द्वारा सख्त कानूनों की अधिसूचना और विभिन्न समुदायों में हो रहे धर्मांतरण की घटनाएँ समाज में गहरे विमर्श और सतर्कता की आवश्यकता को उजागर करती हैं। यह महत्वपूर्ण है कि सभी समुदायों के बीच आपसी सम्मान बना रहे, ताकि समाज में शांति और एकता कायम रह सके।

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