मणिपुर में शुरु हुआ हिंसा का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां रह-रहकर हिंसक वारदातें लगातार हो रही हैं। आए दिन कई घटनाएं हो रही है, वहीं आज यानी 10 जून की सुबह उग्रवादियों ने मणिपुर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सुरक्षा के काफ़िले को निशाना बना लिया। कुछ उग्रवादियों ने उनके काफ़िले पर ताबड़तोड़ फायरिंग की, जिसमें एक जवान घायल हो गया है। पुलिस ने बताया कि, यह हमला उस वक्त हुआ जब CM का काफ़िला हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले की ओर जा रहा था।
बताया जा रहा है कि, बांग्लादेश में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ शुरु की गई कार्यवाई के बाद उग्रवादी मणिपुर में घुसे हैं, इसके बाद से ही राज्य में हिंसा और हमले का दौर शुरू हो गया है। 8 जून को उग्रवादियों ने मैतेई बाहुल्य जिरीबाम में 70 घरों में आग लगाई थी। इसके साथ ही दो पुलिस चौकी और एक फॉरेस्ट ऑफिस को भी फूंक दिया था। सुरक्षाबलों ने इस हमले में उग्रवादी संगठन ”कुकी हमर जो” का हाथ बताया है।
अभी तक पुलिस को हमलावरों के बारे में कोई सबूत या जानकारी नहीं मिली है। जिस गांव के पास हमला हुआ है, वो इंफाल से लगभग 26 किमी दूर कांगपोकपी जिले के अंतर्गत आता है। यहां पर ज्यादातर कुकी-ज़ोमी की आबादी रहती है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जिरीबाम का दौरा करने की योजना बनाई थी, क्योंकि वो जगह पिछले कुछ दिनों से अशांति की चपेट में हैं।
मणिपुर में हो रही इस तरह की हिंसक घटना मई 2023 में भड़की थी। तब से लेकर आज तक लगातार गोलीबारी-हिंसा जैसी घटनाएं हो रही हैं। मैतेई-कुकी विवाद को अब तक पूरी तरह सुलझाया नहीं गया है। पिछले साल 3 मई को जातीय हिंसा के बाद राज्य में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग बेघर हो गए थे। ये हिंसा तब भड़की थी जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था।
आपको बता दे कि, मैतेई मणिपुर का सबसे बड़ा और प्रमुख जातीय समूह है। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53% है। इनमें से ज्यादातर लोग इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि 40 प्रतिशत आदिवासी हैं, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं और ये ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।