हमारे समाज में सालों से कुछ ऐसी मान्यताएं प्रचलित हैं जिन्हें अंधविश्वास कहा जाता है। अंधविश्वास वास्तव में 5,000 साल पहले प्राचीन मिस्र में उत्पन्न हुआ था। एक दीवार से लगी झुकाव वाली सीढ़ी जो एक त्रिकोण बनाती है मिस्र के लोग इस आकृति को पवित्र मानते थे। अंधविश्वास और विज्ञान वाली बहस चलती रहेगी। हम यह पूरी तरह नहीं जान सकते कि सत्य क्या है, लेकिन कई मिथक और अंधविश्वासों के कारण भारत की अधिकांश जनता डरी हुई रहती है। ये आम लोगों तक ही सीमित नहीं है। मिथक, अंधविश्वास, टोने-टोटके और भ्रम के भूतों से हमारे देश के कई राजनेता भी घिरे रहे हैं। जिनके कई किस्से भी मशहूर हैं।
बिहार के सरकारी बंगले मे बैठा भ्रम का भूत!
हालिया किस्सा पटना के 5 देश रत्न मार्ग पर स्थित सरकारी बंगले से जुड़ा हुआ है। बिहार में इस समय NDA की सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है। इसके बावजूद डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के कार्यकाल पूरा कर पाने को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई है। चर्चाओं की वजह एक पुराने मिथक से जुड़ी हुई है। दरअसल, इसी विजयादशमी के दिन सम्राट चौधरी ने पटना के 5 देश रत्न मार्ग पर स्थित सरकारी बंगले मे गृह प्रवेश किया है। ये बंगला पहले पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और उससे भी पहले डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद को मिला था। लेकिन दोनों ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और सरकार गिर गई। इस बंगले से जुड़ा एक मिथ है कि जो भी नेता इस बंगले मे रहता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता। सम्राट चौधरी ने ग्रह प्रवेश करते हुए कहा कि कोई भी बंगला विवादित नहीं होता, बल्कि उसमें रहने वाला होता है। हालांकि, सम्राट के मन मे भय तो है क्यूंकि उन्होंने दक्षिण दिशा की ओर खुलने वाले दरवाजे को अस्थायी रूप से बंद करा दिया है। देखना होगा कि क्या सम्राट भी मिथक को तोड़ पाते हैं या नहीं लेकिन ऐसे कई अन्य किस्से पहले भी सुनने मे आते रहें हैं।
रात मे उज्जैन मे नही रुकता कोई राजा!
मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन को लेकर एक मिथक रहा है कि यहां कोई भी राजा, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री रात नहीं बिताते हैं। क्यूंकि यहां के राजा ‘बाबा महाकाल’ को माना जाता है। शिवराज सिंह चौहान राज्य के 18 साल मुख्यमंत्री रहे, मगर अपने कार्यकाल के दौरान वे एक भी रात उज्जैन में नहीं रुके। लेकिन राज्य के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इसी साल एक रात उज्जैन में बिताकर इस सालों पुराने मिथक को तोड़ दिया है।
उत्तर प्रदेश का सीएम कभी नहीं जाता नोएडा!
उत्तर प्रदेश जैसी निडर धरती पर भी नेताओं को डराने वाला एक मिथक मशहूर रहा है। कहा जाता है कि यूपी का सीएम रहते अगर कोई नेता नोएडा चला जाए तो उसकी कुर्सी नहीं बचती। इसीलिए डर के चलते मुख्यमंत्री अखिलेश भी कई बार नोएडा जाने से बचते रहे। दरअसल 1988 में वीरबहादुर सिंह ने नोएडा से लौटते हुए अपनी कुर्सी गंवा दी जिसके बाद यह मिथ शुरू हो गया। तीन दशकों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मिथक को ध्वस्त कर दिया। अपने अभी तक के कार्यकाल के दौरान वे 20 बार से ज्यादा नोएडा जा चुके हैं।
अटल जी भी इससे अछूते नहीं!
यथार्थ और दर्शन मे रुचि रखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का नाम किसी मिथक से जुड़ा होना खुद मे हैरानी की बात है, लेकिन उनसे जुड़ी एक जुड़ी एक कहानी भी दिलचस्प है। कहा जाता है कि 2004 में हार के बाद वाजपेयी ने उस घर का नंबर बदलवाया था जहां उन्हें बतौर पूर्व प्रधानमंत्री शिफ्ट होना था। ये बंगला दिल्ली में कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित है। उन्हें जो घर मिला था उसका नंबर 8 था जिसे बदलकर 6-A किया गया। वाजपेयी को लगता था कि बंगले पहले वाला नंबर है अशुभ है।
सिद्धारमैया ने अंधविश्वास मे बदली महंगी गाड़ी
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक बार 35 लाख रुपये की कीमत वाली नई गाड़ी सिर्फ इसीलिए बदल दी क्यूंकि उसमे एक कौआ बैठ गया था। कौंवा बैठने के बाद तुरंत बाद राज्य के पुलिस कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने की धमकी दे दी। मुख्यमंत्रियों के सलाहकारों ने कौवा बैठने की घटना को अपशकन से जोड़ दिया और सिद्धारमैया को गाड़ी बदलने की सलाह दे दी। तुरंत ही सिद्धारमैया के लिए नई फॉर्च्यूनर खरीदने का आर्डर दे दिया गया।
ममता बनर्जी की अशुभ इमारत!
2013 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अंधविश्वास से जुड़ी खबरें आईं थी। दरअसल, 1 जुलाई, 1993 को ममता की अगुआई में यूथ कांग्रेस वाले ‘रॉयटर्स बिल्डिंग’ की तरफ जा रहे थे। उस टाइम गोलीबारी की गई जिसमें उनके 13 कार्यकर्ता मारे गए। तब ममता ने कसम खाई थी कि वह कभी इस इमारत में कदम नहीं रखेगी। हालांकि 2011 में वो सीएम बनकर इस इमारत में वापस आई लेकिन इसे वे अब तक अशुभ ही मानती हैं।
भले ही इन नेताओं को भी पता हो कि अंधविश्वास से कुछ नहीं होने वाला है। लेकिन ये लोग भी अंधविश्वास का अनुसरण करते रहते है। कारण है कुछ अनहोनी होने का डर जो दिमाग मे घर – समाज ने बिठा दिया है।