पंजाब से एक बहुत ही चौंकाने वाली खबर सामने आई जो कई तरह के सवाल भी खड़े करती हैं, यहां पर एक मंत्री के पास ऐसा मंत्रालय था जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं हैं। यह मामला पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार से जुड़ा हैं।
Administrative Reforms मंत्रालय की हकीकत!
मान मंत्रालय के वरिष्ठ मंत्रियों में से एक कुलदीप सिंह धालीवाल को “NRI & Administrative Reforms” मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई थी। लेकिन अब यह जानकारी पता चली कि “Administrative Reforms” विभाग वास्तव में हैं ही नहीं और केवल कागज़ों पर ही चल रहा था। कोई भी अफसर या कर्मचारी इसके अंतर्गत काम नहीं कर रहा था। 20 महीने बाद नींद खुलने पर इसे बंद करने के लिए “Gazette Notification” जारी किया गया। धालीवाल अब केवल “NRI Affairs” ही संभालेंगे।
2023 में दी गई थी इस विभाग की ज़िम्मेदारी!
कुलदीप के पास पहले “Agriculture & Farmer’s Welfare” मंत्रालय था जिसे 2023 में वापस ले लिया गया था, इसकी जगह उन्हें “NRI & Administrative Reforms” का ज़िम्मा मिला था।
कौन हैं कुलदीप सिंह धालीवाल?
जानकारी के लिए बता दें कि कुलदीप सिंह धालीवाल अजनाला सीट से विधायक हैं और मंत्रालय में पांचवें सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। प्रारंभिक जीवन में CPIM के समर्थक थे मगर बाद में कांग्रेस जॉइन कर ली थी। वर्तमान में आम आदमी पार्टी के रसूखदार नेताओं में से एक माने जाते हैं।
विपक्षी दलों का कटाक्ष !
ज़ाहिर हैं कि इस प्रकार की घटना के बाद, विपक्षियों की ओर से प्रतिक्रिया तो आनी ही थी। भाजपा के अमित मालवीय ने कहा कि, “पंजाब की हालत बहुत खराब हो चुकी हैं, यह सरकार केवल दिखावा ही करती हैं।” राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि, “आम आदमी पार्टी ने पंजाब में शासन को मज़ाक ही बना दिया हैं। एक मंत्री ने 20 महीने वो विभाग चलाया जो अस्तित्व में था ही नही!” शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने भी कहा कि, “यह सब इस वजह से हो रहा है क्योंकि मंत्रियों की शासन में कोई भूमिका नहीं हैं, सरकार दिल्ली से रिमोट कंट्रोल से चल रही हैं।”
राजनीतिक भविष्य पर प्रभाव?
इस घटना के बाद पंजाब की पार्टी इकाई पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल इसे प्रशासनिक विफलता के रुप में देख रहे हैं। निश्चित रूप से आगे आने वाले चुनावों में ये घटना एक बड़ा मुद्दा बन सकती हैं।