NEET PG की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स के लिए बड़ी खबर आई है। PG मेडिकल एडमिशन में रिजर्वेशन के नियम पर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आज यानी 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेडिकल के PG कोर्सेस में ‘डोमिसाइल कोटा’ के आधार पर प्रवेश दिया जाना गलत है। ये भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
सबसे पहले समझते हैं कि मेडिकल में एडमिशन के लिए डोमिसाइल कोटा होता क्या है? MBBS जैसे UG मेडिकल कोर्स के लिए NEET UG एग्जाम होता है और वहीं पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेस के लिए NEET PG की परीक्षा होती है। फिर सेंट्रल लेवल पर ऑल इंडिया कोटा के तहत 15 फीसदी सीटों पर काउंसलिंग होती है। बाकी की सीटों पर राज्य अपने स्तर पर काउंसलिंग कराते हैं। NEET स्टेट काउंसलिंग में स्टेट कोटा लागू होता है। यानी उस राज्य के रहने वाले छात्रों को आरक्षण मिलता है अगर उनके पास उस राज्य का डोमिसाइल सर्टिफिकेट है तो।
देशभर में ऐसे मामलों पर कोर्ट की टिप्पणी
- महाराष्ट्र का मामला:
फरवरी 2018 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी एक सूचना को रद्द कर दिया, जिसमें केवल राज्य के निवासियों को PG मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए पात्र माना गया था। इस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि केवल निवास के आधार पर छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया से बाहर करना कानूनन उचित नहीं है।
- उत्तराखंड का मामला
2013 में, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य द्वारा PG मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए डोमिसाइल कोटा लागू करने को असंवैधानिक करार दिया। न्यायालय ने कहा कि निवास के आधार पर preference देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की गारंटी देता है।
- कर्नाटक राज्य का मामला:
अप्रैल 2018 में, उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक राज्य द्वारा PG मेडिकल कोर्स और डेंटल मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए ‘कर्नाटक मूल’ और राज्य में 10 वर्ष की शिक्षा की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित किया। न्यायालय ने इसे अमान्य और असंवैधानिक करार देते हुए राज्य सरकार को सूचना बुलेटिन में संशोधन करने का निर्देश दिया।
- उत्तर प्रदेश का मामला
2019 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा PG मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए डोमिसाइल इफेक्ट लागू करने को असंवैधानिक करार दिया। न्यायालय ने कहा कि निवास के आधार पर वरीयता देना संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
मामले की सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम सभी भारत के डोमिसाइल/निवासी हैं। अलग से स्टेट डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है। यहां केवल एक ही डोमिसाइल है। वो ये कि हम सभी भारत के निवासी हैं। हमारे पास देश में कहीं भी अपना आवास चुनने का अधिकार है। स्वतंत्र होकर अपना पेशा चुनने का अधिकार है। हमारा संविधान भी हमें भारत में कहीं भी किसी भी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने का अधिकार देता है।’
क्या UG कोर्सेस में भी होगा बदलाव?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तो NEET UG पर भी सवाल उठ रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने MBBS , BDS जैसे कोर्स में एडमिशन के लिए डोमिसाइल बेस्ड रिजर्वेशन को कुछ हद तक उचित ठहराया है। लेटेस्ट जजमेंट उन स्टूडेंट्स पर लागू नहीं होगा जो PG मेडिकल कोर्स में एडमिशन ले चुके हैं, पढ़ाई कर रहे हैं या फिर पास हो चुके हैं। इस फैसले से उनका भविष्य बिलकुल प्रभावित नहीं होगा।