उत्तर नाइजीरिया…धूल से ढकी सूखी जमीन, टूटे हुए घर, और आसमान को टकटकी लगाये देखती बच्चों की बेजान आँखें। एक माँ की आँखों में वह इंतजार है जो हर दिन सुबह से शुरू होता है और रात की काली स्याह में खो जाता है। ‘रोज़ी’अपने बेटे अदामू को गोद में लिए बैठी है। अदामू की आँखें बुझी-बुझी सी हैं, उसकी नन्ही सी काया कमजोर हो चुकी है। वह भूखा है, पर रोज़ी के पास उसे खिलाने के लिए कुछ भी नहीं है। अदामू की उम्र मुश्किल से चार साल होगी। उसका चेहरा धूप से झुलसा हुआ है, आँखें धंसी हुई हैं, और पेट अंदर की ओर धंसा हुआ है। वह एक सूखी रोटी का टुकड़ा पकड़े बैठा है, जिसे वह धीरे-धीरे चबा रहा है। उसके पीछे, एक माँ अपने बच्चे को गोद में लिए बैठी है, उसकी आँखों में दर्द और बेबसी साफ झलक रही है। हर सुबह, उत्तर नाइजीरिया के लाखों बच्चे उसी भूख और कुपोषण के साथ उठते हैं, जो उनकी हड्डियों को चूस रहा है। अदामू और उसकी माँ की कहानी, वहाँ के लाखों परिवारों की कहानी है। यह एक ऐसा बुरा सपना है जिससे जागने की कोई उम्मीद नहीं दिखती।
उत्तर नाइजीरिया में लगभग 44 लाख बच्चे कुपोषण और भूख से जूझ रहे हैं। यह आंकड़ा अपने आप में दिल दहला देने वाला है और यह दिखाता है कि यहां के हालात कितने भयावह हो चुके हैं। नाइजीरिया, जो अफ्रीका की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, आज एक ऐसे संकट से गुजर रहा है जिसने लाखों मासूम बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है।
भूख एक ऐसी स्थिति है जो बच्चों के जीवन को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। इस क्षेत्र में फैले सशस्त्र संघर्ष, गरीबी और जलवायु परिवर्तन ने कृषि उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे फ़ूड सेफ्टी की स्थिति और भी बिगड़ गई है। उत्तर नाइजीरिया के कुछ इलाकों में, भूख और कुपोषण का स्तर इतना अधिक है कि बच्चों की मृत्यु दर काफी बढ़ गई है। पिछले कुछ सालों में, हजारों बच्चों की जान भूख और कुपोषण की वजह से चली गई है।
कुपोषण का मतलब सिर्फ भोजन की कमी नहीं है, बल्कि यह उन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी है जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए जरूरी हैं। उत्तर नाइजीरिया में यह समस्या बहुत बड़ी हो चुकी है, जहां बच्चों को न तो पर्याप्त खाना मिल रहा है, न ही जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में करीब 8 लाख बच्चों को गंभीर कुपोषण की समस्या है, जिसमें से कई बच्चों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें तुरंत मेडिकल देखभाल की आवश्यकता है।
भूख और कुपोषण का प्रभाव केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहता। यह बच्चों की शिक्षा को भी प्रभावित करता है। कुपोषित बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, और अगर जाते भी हैं, तो भूख के कारण उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता। UNICEF की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर नाइजीरिया में 50% से अधिक बच्चे स्कूल नहीं जाते, और जो जाते भी हैं, वे सही तरीके से पढ़ाई नहीं कर पाते।
उत्तर नाइजीरिया में चल रहे सशस्त्र संघर्षों ने हालात को और भी बदतर बना दिया है। बोको हराम और अन्य आतंकवादी संगठनों की हिंसा ने लाखों लोगों को उनके घरों से बेघर कर दिया है। ये लोग अब शिविरों में रहने को मजबूर हैं, जहां पर्याप्त खाने और पोषण की सुविधा नहीं है। इन शिविरों में रहने वाले बच्चों के लिए हालात बेहद खराब हैं, जहां उन्हें न तो साफ पानी मिलता है, न ही पर्याप्त भोजन।
कई अंतरराष्ट्रीय संगठन और सरकारें इस संकट को कम करने की कोशिश कर रही हैं। UNICEF, World Food Programme (WFP) और अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने यहां खाद्य और पोषण सहायता पहुंचाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। लेकिन सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी, और लगातार बढ़ती आबादी के कारण ये प्रयास भी पर्याप्त नहीं साबित हो रहे हैं।
यह सिर्फ नाइजीरिया का संकट नहीं है, यह एक वैश्विक मानवीय संकट है। हमें यह समझना होगा कि जब एक बच्चा भूखा सोता है, तो यह सिर्फ उसका नहीं, बल्कि पूरी मानवता की असफलता है।
उत्तर नाइजीरिया में कुपोषण और भूख का संकट इतना बड़ा है कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। हमें सरकारों, संगठनों और आम जनता को साथ मिलकर काम करना होगा ताकि इन बच्चों को बेहतर भविष्य दिया जा सके। आज जरूरत है कि हम इस संकट की गहराई को समझें और जितनी जल्दी हो सके, उतने बड़े पैमाने पर मदद पहुंचाने की कोशिश करें।