पूरे देश की रूह को हिला देने वाले नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दोषी मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को बड़ी रहत देते हुए 14 मामलों में बरी कर दिया है। सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी। सुरेंद्र को तो पांच साल पहले मेरठ जेल मे लगभग फांसी होते होते रोक दी गई थी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को नोएडा में 2005-2006 के निठारी हत्याकांड से संबंधित मामलों में आरोपी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है, इन मामलों में उन्हें पहले एक ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा सुनाई गई थी।
क्या था मामला?
करीब 17 साल पहले 2006 में नोएडा के निठारी गांव स्थित D-5 कोठी उस समय चर्चा में आई जब उसके भीतर नाले से मानव अंग मिले। दरअसल, कुछ महीने से इलाके के बच्चे गायब हो रहे थे। गांववाले बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट तो लिखवा रहे थे। लेकिन पुलिस ने इस पर ज्यादा ध्यान ना देते हुए मामला टाल देती थी। लेकिन जब गांव वालों और खासकर एक गायब हुयी बच्ची के पिता ने कोर्ट मे केस दर्ज कराया और प्रदर्शन किया तो कोर्ट के फैसले की वजह से पुलिस एक्शन मोड में आई। सभी बच्चे डी-5 कोठी के आस-पास से ही गायब हुए थे। तलाशी के बाद उसी कोठी के पीछे वाले नाले से मानव अंग मिलने शुरू हुए। कोठी के मालिक और नौकर से पूछताछ मे उन्होंने कुबूला की मनिंदर सिंह पंढेर बच्चों को शिकार बनाता था और उसके बाद सुरेंद्र कोली उनकी हत्या कर उन्हें पकाकर खाता था।
निठारी कांड की पूरी TIMELINE
निठारी कांड में सीबीआई ने कुल 16 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिल चुकी थी।
जबकि मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ 6 मामले दर्ज थे, इनमें से 3 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी।
कोली को 12 केस, जबकि पंढेर को 2 केस में कोर्ट ने बरी कर दिया गया है।
7 मई 2006 को निठारी की एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद युवती वापस घर नहीं लौटी।
युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर 20 थाने में गुमशुदगी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले में पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था।
नोएडा के निठारी में एक घर के नाले से बच्चों के आठ कंकाल मिलने से निठारी हत्याकांड का खुलासा हुआ।
दो संदिग्धों – घर के मालिक, मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू सहायक सुरिंदर कोली को गिरफ्तार किया गया।
30 दिसंबर 2006 अधिक कंकाल जल निकासी से बाहर गिरते हैं।
31 दिसंबर 2006 राजनीतिक दबाव बनने लगा तो दो बीट कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया।
05 जनवरी 2007 आरोपी पंढेर और कोली को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा व्यापक नार्को-विश्लेषण परीक्षण के लिए गांधीनगर ले जाया गया।
10 जनवरी 2007 केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली।
11 जनवरी 2007 मामले की जांच शुरू करने के लिए सबसे पहले सीबीआई टीम ने निठारी का दौरा किया।
पंढेर के घर के पास तीस और हड्डियां मिलीं. इसके बाद सीबीआई ने पंढेर और कोली से पूछताछ की।
13 जनवरी 2007 लगभग 30 अधिकारियों, मुख्य रूप से सीबीआई जासूसों और फोरेंसिक विशेषज्ञों को दो नालों से अधिक मानव अवशेष मिले। अगले कुछ दिनों में नालों से और भी खोपड़ियाँ बरामद हुईं।
20 जनवरी 2007 उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक रिपोर्ट दायर की।
25 जनवरी 2007 वकीलों और दर्शकों के एक समूह ने पंढेर और कोली पर उस समय हमला कर दिया जब उन्हें नोएडा के बगल में गाजियाबाद की एक अदालत में ले जाया गया।
27 जनवरी 2007 जांच एजेंसियों ने हत्याओं के मकसद के रूप में अंग व्यापार की संभावना से इनकार किया।
8 फ़रवरी 2007 विशेष सीबीआई अदालत ने पंढेर और कोली को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया।
1 मार्च 2007 कोली ने दिल्ली की एक अदालत में अपना इकबालिया बयान दर्ज कराया।
22 मार्च 2007 सीबीआई ने पंढेर को क्लीन चिट दे दी लेकिन कोली को नरभक्षी करार दिया और उस पर 20 वर्षीय पायल के बलात्कार का आरोप लगाया।
10 अप्रैल 2007, 20 साल की पिंकी सरकार की हत्या के मामले में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट दाखिल की, कोली पर अपहरण, बलात्कार और हत्या का आरोप लगाया गया। इस बीच पंढेर एक बार फिर बच गया।
11 मई 2007 सीबीआई अदालत ने एजेंसी से पंढेर की भूमिका पर नए सिरे से विचार करने को कहा।
CBI ने 16 आरोप पत्र दायर किए हैं और अदालत ने छह मामलों में पंढेर के खिलाफ बलात्कार और हत्या के आरोप तय किए हैं।
13 फ़रवरी 2007 में निठारी में कथित जघन्य हत्याओं के कई पीड़ितों में से एक, 14 वर्षीय रिम्पा हलदर के बलात्कार और हत्या के लिए कोली को विशेष सीबीआई अदालत ने दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी।
सितंबर, 2009 पंढेर और कोली को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पंढेर को अपराध से बरी कर दिया, लेकिन कोली की मौत की सजा की पुष्टि की।
7 जनवरी 2010 सुप्रीम कोर्ट ने निठारी सिलसिलेवार हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरिंदर कोली और कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर के घरेलू नौकर सुरिंदर कोली की मौत की सजा पर रोक लगा दी।
4 मई 2010 कोली को 7 वर्षीय आरती प्रसाद की हत्या का दोषी पाया गया और 12 मई को दूसरी बार मौत की सज़ा सुनाई गई।
28 सितंबर 2010 कोली को तीसरी बार मौत की सजा दी गई, इस बार मजदूर पप्पू लाल की आठ वर्षीय बेटी रचना लाल की हत्या के लिए।
22 दिसंबर 2010 कोली को चौथी बार मौत की सजा दी गई।
15 फ़रवरी 2011 सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की मौत की सजा बरकरार रखी।
24 दिसंबर 2012 कोली को 4 जून 2005 को 5 वर्षीय छोटी कविता की हत्या का दोषी पाया गया और उसे पांचवीं मौत की सजा दी गई।
3 सितंबर 2014 निठारी कांड में कोली के खिलाफ कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया था।
22 जुलाई 2017 पिंकी केस में सीबीआई कोर्ट ने मोहिंदर पंढेर, सुरिंदर कोली को दोषी करार दिया।
24 जुलाई 2017 सिलसिलेवार बलात्कार और हत्या के लिए पंढेर, कोली को मौत की सज़ा सुनायी गई।
सवाल है कि फिर असली गुनहगार कौन?
अब जब हाई कोर्ट ने दोनों दोषियों को बरी कर दिया है तो सवाल यह उठ रहा है कि फिर निठारी कांड का सच क्या था? दर्जनों लापता बच्चे जिनके शरीर के टुकड़े मिले उन्हें किसने मारा? जो मानव अंग मिले थे वे किसके थे। कोली – पंढेर के कुबूल नामे के बावजूद क्यूं पलटा गया ये फैसला?