एक बार फिर से जीका वायरस केस में मरीजों की संख्या में वृद्धि होती नज़र आ रही है। महाराष्ट्र के पुणे में जून से लेकर अभी तक जीका वायरस के 66 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें 26 गर्भवती महिलाएं भी शामिल है। हालांकि इस मामले में पुणे नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि, अभी तक देश में जीका वायरस से सीधे तौर पर किसी की भी मौत नहीं हुई है। लेकिन इस वायरस से संक्रमित जो चार मरीजों की मौत हुई है उन्हें पहले से ही स्वास्थ्य समस्याएं थीं और उनकी उम्र 68 से 78 साल के बीच थी।
बेटी और पिता दिनों हुए थे संक्रमित
पुणे में जीका वायरस संक्रमण का पहला केस एरंडवाने इलाके से सामने आया था। जब 46 साल के डॉक्टर की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी और उसके बाद उनकी 15 साल की बेटी भी। इसके अलावा दो संक्रमित मुंधवा इलाके से भी मिले थे और इनमें से एक 47 साल की महिला और दूसरा 22 साल का शख्स पॉजिटिव पाया गया था।
गर्भावस्था में जीका वायरस कितना खतरनाक?
गर्भावस्था के दौरान जीका वायरस का संक्रमण माइक्रोसेफली का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में असामान्य मस्तिष्क विकास के कारण बच्चे का सिर काफी छोटा होता है। यह वायरस संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से फैलता है, जो डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता है। इसके अतिरिक्त बच्चों के मस्तिष्क के विकास की समस्याएं, खाने की समस्याएं जैसे निगलने में कठिनाई, सुनने-देखने में परेशानी होना, जोड़ों की गति में कमी और मांसपेशियों में अकड़न जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
जीका वायरस का खतरा
जीका वायरस मच्छरों के काटने से होने वाला संक्रमण रोग है। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है, उनमें इसका खतरा अधिक हो सकता है। कमजोर इम्युनिटी वाले लोग संक्रमण का ठीक ढंग से मुकाबला नहीं कर पाते हैं। वैसे उम्र बढ़ने के साथ इम्युनिटी कमजोर हो जाती है इसलिए 60 से अधिक उम्र के लोगों में इस संक्रमण बीमारी का जोखिम अधिक देखा जा रहा है।
जीका संक्रमण में क्या होते हैं लक्षण?
जीका के कारण होने वाली बीमारियों को कम करने के लिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करना जरूरी है। वैसे तो जीका से संक्रमित कई लोगों में यह लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, जिस वजह से संक्रमण की पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि संक्रमण के सबसे आम लक्षण बुखार, त्वचा पर दाने, सिरदर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द और आंखें लाल होना है।
युगांडा में सामने आया था पहला केस
जीका वायरस का पहला मामला 1947 में युगांडा में सामने आया था और उस समय बंदरों में जीका की पुष्टि हुई थी। उसके बाद इंसानों में जीका का पहला मामला 1952 में सामने आया था। जीका वायरस का प्रकोप बड़े पैमाने पर 2007 में याप आइलैंड में देखने को मिला था। इसके बाद 2013-2014 में फ्रांस के पोलिनिसिया में जीका संक्रमण ने तबाही मचाई थी। उसके बाद अगले साल ब्राजील में जीका खूब फैला था। अक्टूबर 2015 से जनवरी 2016 के बीच ब्राजील में लगभग 4,000 बच्चे जीका वायरस के साथ पैदा हुए थे।
बता दे कि, अब जीका वायरस से निपटने के लिए PMC स्वास्थ्य विभाग निगरानी कर रहे है और एहतियात के तौर पर, मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए धूम्रीकरण जैसे उपाय किए जा रहे हैं।