जयपुर। साल 2021 दिसंबर में कर्नाटक के एक कॉलेज में छात्राओं को हिजाब पहनने से रोका गया था। विवाद इतना बढ़ा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी थी। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी सरकार के पक्ष में ही फैसला सुनाया। अब राजस्थान में भी एजुकेशनल सोसाइटी में हिजाब पहनने को लेकर बहस छिड़ गई है। जयपुर के हवामहल से विधायक बालमुकंद आचार्य के एक सरकारी स्कूल में दिए बयान के बाद यह मुद्दा गरमाया है। सूत्रों का दावा है कि राजस्थान में सरकारी स्कूलों में हिजाब पर पाबंदी लगाने की तैयारी है। इसके लिए दूसरे राज्यों में हिजाब पाबंदी को लेकर स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई है। वहीं, भजनलाल सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने हिजाब बैन की वकालत की है।
किरोड़ी बोले- ड्रेस कोड का पालन हो, हिजाब पर पाबंदी लगे
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने प्रदेशभर में स्कूलों में हिजाब पर बैन लगाने की पैरवी की है। उन्होंने कहा- स्कूलों में ड्रेस कोड का पालन होना ही चाहिए। हिजाब सरकारी ही नहीं, प्राइवेट स्कूलों और मदरसों तक में प्रतिबंधित होना चाहिए। मैं इस पर मुख्यमंत्री से बात करूंगा। मीणा ने कहा- जब मुगल आक्रांता यहां आए तो उन्होंने यह प्रथा हमारे देश में चलाई। हिंदुस्तानी मुसलमानों का डीएनए भी तो हमारा ही है। बुर्का और हिजाब हमारे देश में किसी प्रकार स्वीकार्य नहीं है। जब मुसलमान देशों में ही हिजाब-बुर्का स्वीकार्य नहीं है तो हम क्यों अपनाएं? हमारे विधायक ने यह मामला उठाया है। ड्रेस कोड पुलिस में भी होता है, स्कूलों में भी होता है। ऐसे तो कोई थानेदार कल कुर्ता-पायजामा पहनकर थाने में बैठ जाएगा। हर चीज का एक नियम होता है।
शिक्षा मंत्री को भेजी जाएगी रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग में उच्च स्तर पर हिजाब बैन मामले में रिपोर्ट तैयार करके शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को भेजी जाएगी। बताया जा रहा है कि दिलावर ने ही इस मामले में विभाग से दूसरे राज्यों में हिजाब बैन के स्टेटस और राजस्थान में इसके प्रभावों को लेकर रिपोर्ट मांगी है। दूसरे राज्यों के पैटर्न का अध्ययन करने के बाद हिजाब बैन की संभावनाओं पर रिपोर्ट मंत्री को भेजी जाएगी। उच्च स्तर से हरी झंडी मिलने के बाद राजस्थान के स्कूलों में भी हिजाब पर पाबंदी लगाई जा सकती है।
आचार्य बोले- हमारे बच्चे लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे
पूरे मामले पर विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा- स्कूलों का एक ड्रेस कोड होता है। मेरे भाषण को देखा जा सकता है। मैंने स्कूल में बच्चियों को कुछ नहीं कहा। मैंने केवल स्कूल प्रिंसिपल से पूछा था कि क्या स्कूल में दो तरह का ड्रेस कोड है। जब गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम हो, वार्षिकोत्सव हो। क्या दो तरह की ड्रेस का प्रावधान है? उन्होंने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है। यह मानते ही नहीं है। मुझे स्कूल में दो तरह का माहौल नजर आया। एक हिजाब के साथ, दूसरा बिना हिजाब के। ऐसे में हमारे भी बच्चे कल को लहंगा-चुन्नी पहनकर आएंगे, कलरफुल ड्रेस पहनकर आएंगे। जब स्कूल का ड्रेस कोड तय है, बच्चियों को इसमें आपत्ति भी नहीं है। केवल उन्हें गाइड करने की जरूरत है।