तमिलनाडु। तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी के परिसरों पर मंगलवार 13 जून को ईडी ED की छापेमारी के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला दिया है और राज्य की सियासत गरमा गई है। इसी बीच तमिलनाडु सरकार ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही अब सीबीआई राज्य में जांच कर पाएगी। इसे लेकर भाजपा ने सीएम स्टालिन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
क्या है सामान्य सहमती?
यह कानून सीबीआई को किसी भी राज्य पुलिस का एक विशेष विंग बनाता है और इसका मूल अधिकार क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सहित अन्य केंद्र शासित प्रदेशों तक ही सीमित है।
यदि सीबीआई को किसी राज्य के राज्यक्षेत्र में कोई जांच करनी होती है तो उसे राज्य सरकार से इसकी अनुमति लेनी होती है। जबकि अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों जैसे एनआईए को कानून द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर जांच करने का अधिकार प्राप्त है।
सामान्य सहमती वापस लेने वाला 10 वां राज्य बना तमिलनाडु।
तमिलनाडु सीबीआई द्वारा जांच के लिए अपनी सामान्य सहमति वापस लेने वाला दसवां भारतीय राज्य बन गया। सहमति वापसी के बाद अब केंद्रीय जांच एजेंसी को राज्य में किसी भी मामले की जांच करने से पहले तमिलनाडु सरकार से अनुमति लेनी होगी। वहीं तमिलनाडु सीबीआई द्वारा जांच के लिए अपनी सामान्य सहमति वापस लेने वाला दसवां भारतीय राज्य बन गया। इससे पहले जिन अन्य 9 राज्यों ने मामलों की जांच के लिए सीबीआई से अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली थी उनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, मेघालय, मिजोरम, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
सहमति वापस लेने का क्या मतलब होता है?
सहमति वापस लेने का तात्पर्य यह है कि CBI इन दोनों राज्यों की केस-विशिष्ट सहमति के बिना इन राज्यों में केंद्र सरकार के किसी भी कर्मचारी या राज्य में रह रहे किसी भी गैर-सरकारी व्यक्ति के खिलाफ नए मामले दर्ज नहीं कर सकेगी। स्पष्टतः यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना इन राज्यों में प्रवेश करते ही किसी भी CBI अधिकारी के पुलिस अधिकारी के रूप में सभी अधिकार समाप्त हो जाएंगे।