अयोध्या। पीएम नरेंद्र मोदी जब 22 जनवरी को राम मंदिर के गर्भगृह मं रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे तो उन्हें मंदिर निर्माण में सारे देश की भागीदारी दिखेगी। मंदिर के निर्माण में कई प्रांतेां के कारीगरों ने अपनी कारीगरी दिखाई है। पत्थरों को तराशने के काम में राजस्थान, ओडिशा और मध्य प्रदेश के शिल्पकारों ने बढ़-चढ़कर लंबे समय से काम किया। वहीं इसमें लगने वाले पिंक कलर के सैंड स्टोन राजस्थान के भरतपुर के वंशीपहाडपुर गांव के लगे हैं। पिंक कलर के ये पत्थर सबसे मजबूत माने जाते हैं। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि मंदिर निर्माण के कार्य में सारा देश बसता है। अब मंदिर के भूतल के 14 दरवाजों के ही निर्माण कार्य को देखें तो इसकी लकड़ी महाराष्ट्र के जंगलों की है। जिस निर्माण इकाई को इससे दरवाजे बनवाने का काम सौंपा गया है, वह हैदराबाद की है जबकि दरवाजे की डिजाइनिंग करने वाले कारीगर कन्याकुमारी के हैं। एक ही काम में तीन प्रांतों की भागीदारी है। मंदिर के फर्श मकराना के पत्थरों से बने हैं जबकि इसमें लगने वाले ग्रेनाइट तेलंगाना और कर्नाटक के हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट एलऐंडटी कंपनी को दिया गया है। वहीं टाटा के इंजिनियरिंग को भी क्रासचेक के लिए लगाया गया है। कांस्ट्रक्शन के साथ इसके चीफ आर्किटेक्ट के तौर गुजरात के चंद्रकांत सोमपुरा को नियुक्त किया गया है। मंदिर के निर्माण कार्य में जो 300 से अधिक कारीगर काम कर रहे हैं, उनको भी कार्यकुशलता के आधार पर विभिन्न प्रांतो से चुना गया है। मंदिर की निर्माण व्यवस्था का प्रमुख रूप से देखरेख करने में जहां अहम भूमिका खुद चंपत राय, डॉ अनिल मिश्र अयोध्या राजघराने से ताल्लुक रखने वाले बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र और महंत दिनेंद्र दास यूपी के हैं तो तीसरे जिम्मेदार गोपाल राव दक्षिण के हैं। वहीं ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल बिहार के हैं।
मूर्ति निर्माण में दो प्रांतो के मूर्तिकार
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक रामलला की 51 इंच की दिव्य और मुख्य प्रतिमा के निर्माण में तीन विशेषज्ञ मूर्तिकार लगाए गए हैं, जो मूर्तियों को श्याम संगमरमर पत्थर से बना रहे हैं। इनमें से दो मूर्तियां कर्नाटक के श्याम पत्थर से तराशी गई हैं। कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरूण योगिराज ने श्याम पत्थर से रामलला की प्रतिमा को बनाया है। राजस्थान के जयपुर के सत्यनारायण पांडे ने संगमरमर पत्थर से रामलला की दिव्य प्रतिमा को तराशा है।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के प्रमुख चंपत राय के मुताबिक 22 जनवरी के सारे वैदिक अनुष्ठान के संचालन के लिए दो विद्वान आचार्यों पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और गणेश्वर शास्त्री द्रविण को जिम्मेदारी दी गई है। गणेश्वर काशी में रहते जरूर हैं पर हैं ये दक्षिण मूल के। वहीं राम मंदिर के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र के मुताबिक फैब्रिकेशन और दरवाजों पर सोने की चादर आदि चढ़ाने का दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कारीगर और एजेंसियां कर रही हैं।