देश में लगातार ऑनलाइन फ्रॉड और साइबर क्राइम के मामले बढते जा रहे हैं। जिसके बाद से यह सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया हैं। लेकिन अब इन मामलो से निपटने के लिए सरकार ने नया प्लान बनाया है। सरकार करीब 18 लाख से ज्यादा सिम और मोबाइल कनेक्शन को अगले 15 दिन में बंद करने वाली है और पहली बार होगा जब इतनी ज्यादा संख्या में सरकार मोबाइल और सिम कनेक्शन को एक साथ बंद करेगी।
बता दे कि, हाल ही में टेलिकॉम विभाग की ओर से 9 मई को टेलिकॉम कंपनियों जैसे जियो, एयरटेल और Vi के 28,220 मोबाइल बैंड को बंद करने का निर्देश दिया था। साथ ही करीब 20 लाख मोबाइल कनेक्शन का दोबारा से वेरिफिकेशन करने का निर्देश भी दिया गया था। इसके पीछे का कारण मोबाइल हैंडसेट से हो रहे ऑनलाइन फ्रॉड है।
पिछले साल में 10,319 करोड़ रुपये के साइबर क्राइम हुए
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में साइबर क्राइम का शिकार हुए लोगों को लगभग 10,319 करोड़ रुपये का चूना लगा था। संसद की एक समिति ने बताया था कि, साल 2023 में वित्तीय अपराधों की लगभग 6.94 लाख शिकायतें दर्ज की गईं है। पिछले साल भी टेलीकॉम कंपनियों ने साइबर क्राइम से जुड़े 2 लाख से ज्यादा सिम बंद किए थे। इसके बाद हरियाणा के मेवात में लगभग 37 हजार संदिग्ध सिम बंद किए गए थे। कानून प्रवर्तन एजेंसियों और टेलीकॉम कंपनियों से बचने के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले लोग दूसरे टेलीकॉम सर्किल में जाकर सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही एक ही फोन में कई सिम बदलते रहते हैं। यह लोग सिर्फ कुछ कॉल करने के बाद अपनी सिम बदल देते हैं।
15 दिनों में फर्जी मोबाइल और सिम कार्ड को बंद करने का टास्क दिया
केंद्र की मोदी सरकार के इस प्लान के तहत सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों की मदद से ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों की पहचान की जाएगी। टेलिकॉम कंपनियां मोबाइल कनेक्शन और सिम कार्ड का रीवेरिफिकेशन करेगी, उसके बाद फर्जी सिम्स को ब्लॉक करेगी। टेलिकॉम कंपनियों की ओर से अगले 15 दिनों में फर्जी मोबाइल और सिम कार्ड को बंद करने का टास्क दिया गया है।
आखिर क्यों लेना पड़ा सरकार को यह ऐक्शन
संचार विभाग (Department of Telecommunication) के अधिकारियों ने बताया कि, साइबर अपराधी फ्रॉड करने के लिए अलग-अलग टेलीकॉम सर्किल का SIM यूज कर रहे थे। वह लोग मोबाइल नंबर और हैंडसेट बार-बार बदल रहे थे, ताकि जांच एजेंसियों से बचा जा सके। उदाहरण के तौर पर झारखंड और पश्चिम बंगाल का सिम कार्ड दिल्ली-एनसीआर में यूज किया जा रहा था। जांच एजेंसियों की पकड़ में नहीं आने के लिए वे केवल एक आउटगोइंग कॉल करके सिम कार्ड और हैंडसेट बदल देते थे।