इंदौर बिजलपुर के इस विद्यालय में शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अपने गरीब परिवारों के बच्चो को निजी स्कूलों जैसे नजारा व बेहतर शिक्षा देने के लिए खुद चंदा करके ‘‘स्मार्ट” कक्षा तैयार की है। यह शासकीय प्रायोगिक माध्यमिक विद्यालय का नजारा आम सरकारी स्कूलों से काफी अलग है। इस विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने करीब 23,000 रुपये का चंदा करके प्रोजेक्टर, चार स्पीकर का सेट आदि खरीदा है और ‘‘स्मार्ट” कक्षा तैयार की है।
‘‘स्मार्ट”कक्षा की तैयार
विद्यालय के प्राथमिक शिक्षक पीयूष दुबे ने सोमवार को ‘‘पीटीआई-भाषा” को बताया, ‘‘एक बार मैं अपने लैपटॉप की मदद से बच्चों को पढ़ा रहा था। मैंने देखा कि खासकर पहली और दूसरी कक्षा के बच्चे लैपटॉप से पढ़ने में खास रुचि ले रहे हैं। इससे हम शिक्षक-शिक्षिकाओं के मन में बच्चों के लिए स्मार्ट कक्षा तैयार करने का विचार आया।” उन्होंने बताया कि विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने करीब 23,000 रुपये का चंदा करके प्रोजेक्टर, चार स्पीकर का सेट आदि खरीदा है और ‘‘स्मार्ट” कक्षा तैयार की है।
प्रोजेक्टर से पढ़ना बच्चों को लग रहा अच्छा
बिजलपुर क्षेत्र में करीब 300 विद्यार्थियों वाले इस माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों के हैं और जाहिर है कि उनके परिजन निजी स्कूलों की महंगी फीस का बोझ नहीं उठा सकते। बच्चों का कहना है कि ब्लैक बोर्ड के बजाय प्रोजेक्टर पर पढ़ने में न केवल उन्हें मजा आ रहा है, बल्कि ज्यादा अच्छे से समझ भी पा रहे हैं।
बच्चों की संख्या में हुआ इजाफा
विद्यालय की प्रभारी सोनाली डगांवकर ने बताया कि ‘स्मार्ट’ कक्षा में बच्चे बड़े उत्साह से पढ़ते हैं।उन्होंने बताया कि ‘स्मार्ट’ कक्षा में दृश्य-श्रव्य माध्यम से पढ़ाए जाने के कारण विद्यालय की कक्षा एक में दाखिला लेने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है।