जैसे जैसे ठंड का मौसम पास आ रहा है, यह उम्मीद की जा सकती है की घरों में महिलाओं पर हो रही हिंसा भी कम हो जाएगी। सुनने में अजीब ज़रूर है पर यह सच है। एक स्टडी के अनुसार भारत, पाकिस्तान और नेपाल में बढ़ते तापमान और माहिलाओं के खिलाफ़ घरेलू हिंसा में एक संबंध है।
बुधवार को JAMA साइकेट्री ने स्टडी की जिससे पता चला कि भारत, पाकिस्तान और नेपाल में अगर एवरेज 1 डिग्री सेल्सियस ईयरली टेम्परेचर बढ़ता है तो 6.3% बढ़ावा महिलाओं पर हो रही घरेलू हिंसा में भी आता है।
कैसे की यह स्टडी
194,871 लड़कियाँ और महिलाएँ, जिनकी उम्र 15 से 49 के बीच की है, उन्हें स्टडी किया गया और उनसे उनके ऊपर हो रहे सेक्सुअल, इमोशनल और डोमेस्टिक वायलेंस के बारे में पूछा गया। जो जानकारी मिली उसकी तुलना तापमान में हो रहे बदलाव से की।
1 डिग्री सेल्सियस तापमान में बढ़ावे से, 8% बढ़ावा फिजिकल वायलेंस और 7.3% बढ़ावा सेक्सुअल वायलेंस में देखा गया है।
मिशेल बेल, एनवायर्नमेंटल हेल्थ प्रोफेसर और स्टडी के सह-लेखक ने समझाया कि तापमान के बढ़ते ही, बहुत कारणों के कारण, दोनों शारीरिक और सामाजिक, हिंसा में बढ़ावा कर सकते है।
हीट वेव भी एक कारण
हीट वेव के बहुत विनाशकारी परिणाम हो सकते है जैसे की फसल का नुक़सान, बुनियादी ढांचे की क्षति, आर्थिक मंदी और घर के अंदर कारावास जैसे कारण इंसान में स्ट्रेस बढ़ा देते है जिससे घर में हो रही हिंसा में भी बढ़ावा देखने को मिलता है।
कहानी महिलाओं की
लगभग सभी आय समूह में घरेलू हिंसा देखी गई है पर सबसे ज्यादा हिंसा का शिकार कम आय समूह और ग्रामीण इलाक़ों की महिलाएँ होती है।
सुनीति गार्गी, भारतीय एक्टिविस्ट का कहना है की, पिछले कुछ सालों से भारत हीट वेव का शिकार हो रहा है। गार्डियन से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैंने नोटिस किया है की हीट वेव के कारण परिवारों पर स्ट्रेस आता है। जब नौकरी के चक्कर में आदमी दूसरे शहर जाता है तो वो अपने परिवार के लिये कुछ कमाई कर पाता है पर जब वह ऐसा नहीं कर पाता है तो उसका ग़ुस्सा अपने परिवार पर निकलता है, ज्यादातर अपनी पत्नी पर।”
एक महिला गार्गी की मदद से हीट वेव के कारण हुई हिंसा की अपनी कहानी लोगों तक पहुंचा पाई । उनका कहना था कि, “ जब जून के महीने में तापमान बहुत गरम था, मेरे पति के लिए खेत में काम करना मुश्किल हो रहा था। हमारी आय का वो एक ही ज़रिया था जो अब नहीं बचा था। इस बात से मेरे पति चीड़ –चिड़े और गुस्से में रहने लगे। बच्चो की मांगे पूरी ना कर पाने की वजह से वो और परेशान रहने लगे थे। उनका यह ग़ुस्सा मार – पीट के रूप में मेरे ऊपर निकलने लगा, कई बार उनका ग़ुस्सा बच्चो पर भी निकलता था। रात होते ही उनको अपनी हरकतों पर शर्मिंदगी होती थी पर सुबह होते ही, काम ना मिलने के कारण उनका वो ग़ुस्सा वापिस आ जाता था।”
कैसे रोकें यह हिंसा
हालांकि बहुत से देश हीट वेव को ट्रैक करते है पर उससे हो रही हिंसा को ट्रैक नहीं करते। बेल का कहना है कि हीट वेव से होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम्स के साथ – साथ मानसिक बोझ के बारे में भी सोचना चाहिये। हम इन बातों पर तब तक ध्यान नहीं देते जब तक वो बातें एक बड़ी समस्या नहीं बन जायें। घरेलू हिंसा और उसको बढ़ावा देने वाली चीज़ों के बारे में हमें सोचना चाहिए और उन्हें रोकने का उपाय करना चाहिए।