बुधनी की जीत में वह बात नहीं, झारखंड में हार गए, चुनाव आयोग के उल्लंघन का आरोप और देश भर में खाद के लिए परेशान हो रहे किसान…ये चार वजह हैं, जो मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की नैया को डगमग कर रहे हैं। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि बुधनी में पूरी ताकत से नहीं लड़े, इसलिए रमाकांत भार्गव को ठीक-ठाक जीत मिली है। इससे पहले बुधनी में भाजपा रिकार्ड वोट से जीतती आई है। लडक़े कार्तिकेय चौहान का नाम टिकट के लिए चला था, लेकिन हाइकमान की मर्जी और तजुर्बे के मद्देनजर रमाकांत भार्गव को प्रत्याशी बनाया गया। शिवराज और उनकी टीम ने चेहरे पर हंसी तो बरकरार रखी, लेकिन फांस तो चुभ गई थी।
झारखंड की हार भी मुसीबत
उधर, झारखंड चुनाव में भाजपा को मिली हार भी परेशान कर रही है। बेशक कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाए हैं, लेकिन बहुमत के आंकड़े के आधे तक भी नहीं पहुंच सके। किसानों का गुस्सा आज भी देश भर में जारी है। कहीं खाद को लेकर लाइनों में खड़े हैं तो कहीं एमएसपी को लेकर परेशान हैं। पंजाब, हरियाणा में तो कई जगह आंदोलन खड़े हो रहे हैं।
चुनाव आयोग के उलंघन का मामला!
इस सबके बाद चुनाव आयोग के उल्लंघन का मामला भी शिवराज के गले की फांस बन सकता है। उन पर आरोप लगा है कि मॉडल कोड आफ कंडक्ट का नियम तोड़ा। बुधनी उपचुनाव की तारीख के महज हफ्ते भर पहले अपने इलाके को डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दे दी। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के वक्त शिवराज के माथे पर जो लकीरें गहरा गई थीं, वो तो लोकसभा चुनाव के बाद ठीक हो गईं। शिवराज केंद्रीय मंत्री बना दिए गए। अब फिर से नैया डगमग हो रही है।