वही दिन वही दास्तां : ‘गैलीलियो’ का जन्म और ‘ग़ालिब’ का इंतकाल हुआ एक ही दिन… क्या इन दोनों महान व्यक्तियों में कोई और समानता थी?
इतिहास की गलियों में कुछ तारीख़ें ऐसी होती हैं जो अपने भीतर…
वही दिन, वही दास्तां : फ़ैज़…एक शायर, एक क्रांति और एक अमर आवाज़ का जन्म!
"बोल, कि लब आज़ाद हैं तेरे,बोल, ज़ुबान अब तक तेरी है…" फ़ैज़…