Tata group देश का सबसे पुराने कारोबारी घरानों में से एक है। आजाद भारत के विकास में Tata group ने हमेशा अहम भूमिका निभाई है। Jamsetji Tata से लेकर Ratan Tata तक ने अपने तरीकों से ना केवल अपने इस ग्रुप को आगे बढ़ाया बल्कि इसके साथ साथ देश को भी मजबूत स्थिति में लाने में मदद की है। यही वजह है कि हमेशा से ये परिवार अपने समय की युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय रहा है। एक बार फिर से Tata group चर्चा में है।
Tata Motors ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ जीता केस
दरअसल, Tata group ने पश्चिम बंगाल में बड़ी जीत हासिल की है। इस group ने काफी समय से चल रहे सिंगूर जमीन विवाद में बड़ी सफलता हासिल की है। इस जीत के बाद अब Mamata Banerjee सरकार इस ग्रुप की ऑटोमोबाइल कंपनी Tata Motors को 766 करोड़ रुपये देगी। ये सारा विवाद उस समय शुरू हुआ जब पश्चिम बंगाल में सिंगूर में Tata Motors के Nano Plant को यहां की सरकार द्वारा अनुमति मिली थी। उस समय Mamata Banerjee की सरकार नहीं बल्कि वामपंथी सरकार थी।
क्या था सिंगूर जमीन विवाद मामला?
अनुमति मिलने के बाद Tata Motors बंगाल की इस जमीन पर Ratan Tata के Dream Project Nano के प्रोडक्शन के लिए कारखाना स्थापित करने वाली थी। लेकिन उस समय विपक्ष में बैठी Mamata Banerjee और उनकी पार्टी वामपंथी सरकार की नीतियों के खिलाफ थीं। उन्होंने Tata के इस प्रोजेक्ट का विरोध किया। इसके बाद जब Mamata Banerjee की सरकार बनी, तब उन्होंने Tata group को बड़ा झटका दे दिया और एक कानून बनाकर सिंगूर की करीब 1000 एकड़ जमीन 13 हजार किसानों को वापस लौटाने का फैसला किया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ये वही जमीन थी, जिसका अधिग्रहण Tata Motors ने अपना Nano Plant लगाने के लिए किया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद Tata Motors को अपना Nano Plant पश्चिम बंगाल से हटाकर गुजरात में शुरू करने का फैसला किया। Tata Motors को पश्चिम बंगाल में इस प्रोजेक्ट के बंद होने पर बड़ा घाटा हुआ। जिसके बाद इस प्रोजेक्ट के तहत किए गए पूंजी निवेश के घाटे को लेकर पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी WBIDC से मुआवजे के जरिए भरपाई किए जाने का दावा पेश किया।