बजट 2025-26 में टैक्स देने वालों को बड़ी राहत दी गई। नए सिस्टम में 12 लाख रुपये तक की annual इंकम में कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह कदम मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए महत्वपूर्ण राहत के रूप में देखा जा रहा है। नए टैक्स सिस्टम के तहत आयकर स्लैब में संशोधन किए गए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
हालांकि टैक्स चोरी देश की एक बड़ी समस्या है। इसलिए टैक्स पर छूट देने के साथ ही सरकार ने अब टैक्स चोरी पर अंकुश लगाने के लिए आयकर विभाग को पॉवर दे दी हैं। नए आयकर बिल 2025 के तहत, आयकर अधिकारियों को कर जांच के दौरान टैक्स देने वाले व्यक्ती के ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स, ऑनलाइन ट्रेडिंग और बैंक खातों तक पहुंचने का कानूनी अधिकार होगा। यदि करदाता इस पहुंच से इनकार करते हैं, तो अधिकारी सिस्टम को ओवरराइड कर सकते हैं।
इन नई शक्तियों के कारण डिजिटल प्राइवेसी और डेटा सेफ्टी को लेकर चिंताएं भी बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि बिना स्पष्ट सुरक्षा उपायों के, ये शक्तियां करदाताओं के उत्पीड़न या व्यक्तिगत डेटा की अनावश्यक जांच का कारण बन सकती हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि वैध कर जांच और डिजिटल अधिकारों और प्राइवेसी सेफ्टी के बीच संतुलन सुनिश्चित किया जाए।
मौजूदा इंकम बिल, 1961 का ऐक्ट 132 अधिकारियों को तलाशी लेने और संपत्ति और खाता-बही जब्त करने की अनुमति देती है। यह तब होता है जब उनके पास सूचना और कारण हो कि किसी व्यक्ति के पास कोई अघोषित आय, संपत्ति या दस्तावेज हैं, जिन्हें वह जानबूझकर आयकर से बचने के लिए छिपा रहा है।
कुल मिलाकर अब आपका कंप्यूटर, आपका ईमेल, आपका सोशल मीडिया, सब कुछ सरकार की नजर में है। आयकर विधेयक के क्लौज 247 के अनुसार यदि किसी अधिकृत अधिकारी के पास यह मानने का कारण है कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित आय या संपत्ति है जो आयकर अधिनियम के दायरे में आती है, तो वह किसी भी दरवाजे, बॉक्स, लॉकर, तिजोरी, अलमारी या अन्य इंस्ट्रूमेंट का ताला तोड़ सकता है। जो एक तरह से किसी के प्राइवेसी का उल्लंघन भी है।